हमारे पाठक हमसे पूछते हैं कि Dussehra Kaise Manaya Jata Hai कुछ ही दिन में दशहरा पूजा का त्यौहार मनाया जाएगा और बहुत से लोगों को इस त्यौहार के बारे में बहुत सी जानकारियां नहीं होती है।
इस पोस्ट में Dussehra Puja 2024 हम जानेंगे कि Dussehra Kaise Manaya Jata Hai इस त्यौहार का महत्व क्या है एवं नवरात्रि में होने वाला पूजा विधि के बारे में भी जानेंगे।
Ram Navami, रक्षाबंधन और जन्माष्टमी के बाद हिंदू धर्म में बड़ा त्यौहार दशहरा पूजा होता है एवं भारत में इस त्यौहार को बड़ा ही धूमधाम से मनाया जाता है।
Dussehra Kaise Manaya Jata Hai
अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष को दशहरा का दशमी को इस पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान राम से जुड़ी इस त्यौहार को देश के सभी हिस्सों में बड़े ही धूमधाम से त्यौहार को मनाया जाता है।
प्रभु श्री राम जब राम रावण युद्ध में रावण का वध करके विजय प्राप्त करके वापस लौटे थे तो इसी खुशी में दशहरा पूजा का आयोजन किया गया था। उसी समय मां दुर्गा ने भी महिषासुर का वध की थी।
दशहरा पूजा को असत्य पर सत्य का विजय के रूप में मनाते हैं। मां दुर्गा ने दशमी को ही महिषासुर का वध किया था इसलिए दशमी को विजयादशमी भी कहा जाता है।
दशहरा पूजा में विजयादशमी को लोग शस्त्रों की पूजा करते हैं एवं इसी दिन से नए कार्यों का आरंभ किया जाता है जैसे नया उद्योग, खेतों में बीज बोना एवं अक्षर लेखन इत्यादि।
ऐसी मान्यता है कि विजयादशमी को आरंभ किया गया कोई भी काम में विजय या सफलता मिलती है। पुराने जमाने में राजा महाराजाओं के युग में विजयादशमी को ही राजा रण यात्रा के लिए निकलते थे ताकि उसमें उनको विजय प्राप्त हो।
दशहरा पूजा में विजयादशमी को पूरा देश में मेला लगता है एवं रामलीला का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए बच्चों से लेकर बड़ों तक मेला घूमने जाते हैं।
देश के लगभग सभी राज्यों में रावण का ऊंचा पुतला बनाया जाता है और फिर दशमी के दिन रामलीला में राम का पात्र बना हुआ व्यक्ति तीर चला के उस पुतले का दहन करता है।
दशहरा पूजा में विजयादशमी के दिन प्रभु श्री राम के विजय यात्रा पर लौटने की याद में मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश हर्ष एवं उल्लास के साथ विजयादशमी का त्यौहार मनाता है।
दशहरा पूजा से हमें 10 तरह के पापो को निषेध करने का सिख मिलता है जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा एवं चोरी।
Dussehra का महत्व
भारत में दशहरा पूजा का बहुत बड़ा महत्व होता है। कई राज्यों में इन दिनों धान की फसल की कटाई होती है एवं किसान अपने फसल को देखकर काफी हर्ष एवं उल्लास के साथ विजयदशमी का पर्व मनाते हैं।
दशहरा पूजा से हमें बुराई पर अच्छाई की विजय की सीख मिलती है इस दिन सुबह से लेकर शाम तक बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
दशहरे का दिन अगर आप कोई शुभ और खास तरह के प्रयोग करते हैं तो उसमें आपको बहुत ही अच्छा लाभ होने की संभावना होती है।
विजयादशमी को ही नवरात्रि का समाप्ति हो जाता है एवं देवी का प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है जो लोग 9 दिन तक नवरात्रि का व्रत रखते हैं वो विजयादशमी को ही पारायण करते हैं।
भारतीय परंपरा के अनुसार विजयादशमी को ही हम अस्त्र शस्त्रों की पूजा विधि विधान से करते हैं एवं विजय पर्व मनाते हैं।
अगर आप विजयादशमी को कुछ विशेष शुभ कार्य करते हैं तो उसमें आपको सफलता मिलने की उम्मीद ज्यादा से ज्यादा होती है।
दशहरा के त्यौहार में शस्त्र पूजा, वाहन पूजा के साथ ही कुछ नया शुभ कार्य आरंभ करने की भी परंपरा है माना जाता है कि इस दिन नया कार्य आरंभ करने से उसमें सफलता मिलने की उम्मीद ज्यादा होती है।
दशहरा में किसकी पूजा करें?
दशहरा के त्यौहार में मां दुर्गा की पूजा की जाती है क्योंकि इन्होंने ही महिषासुर का वध किया था और भगवान राम की पूजा की जाती है क्योंकि इन्होंने बुराई का प्रतीक रावण का वध किया था।
वैसे तो प्रभु श्री राम की पूजा हर दिन ही होती है लेकिन दशहरा में खास करके इनकी पूजा करने से हमारे सभी कार्यों में सफलता मिलती है एवं हमारे अंदर की बुराई मिटती है।
ऐसा माना जाता है कि दशहरे के दिन प्रभु श्री राम एवं मां दुर्गा की पूजा करने से नवग्रह नियंत्रित रहते हैं। नौ ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए हवन किया जाता है और गरीब एवं ब्राह्मण को दान दिया जाता है।
नवरात्रि के समय में कुछ ऐसी चीजें होती है जिस को घर में लाने से सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है।
1. तुलसी का पौधा लगाएं
नवरात्रि के अवसर पर आप अपने घर में तुलसी का पौधा जरूर लगाएं और रोज पौधा में जल डालें एवं सुबह शाम घी का दीपक जलाना चाहिए इससे घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है।
2. केले का पौधा लगाएं
नवरात्र के अवसर पर अपने घर में या द्वार पर केले का पौधा जरूर लगाएं एवं रोज सुबह पूजा करें इससे भी हमारे घर में सुख समृद्धि एवं खुशियां आती है।
3. हरसिंगार का पौधा लगाएं
नवरात्रि के अवसर पर घरों में हरसिंगार का पौधा लगाना चाहिए इससे हमारे घरों में सुख समृद्धि का वृद्धि होता है। हरसिंगार के पत्ते को लाल कपड़े में लपेटकर आप अपने घर में जहां भी पैसे रखते हैं वहां पर इसे रख सकते हैं इससे धन-धान्य की वृद्धि होती है।
4. बड़ा का पत्ते का लाभ
नवरात्र के अवसर पर किसी भी मुहूर्त में बड़ के पत्ते को साफ पानी से धोकर उस पर हल्दी एवं घी से स्वास्तिक बनाएं और फिर नवरात्रि के 9 दिन तक इसे धूप अगरबत्ती दिखाकर पूजा करें ऐसा करने से घर में कलह एवं परेशानी समाप्त होती है।
5. धतूरे का जड़ का पूजा करें
धतूरे का पौधा भगवान शिव के लिए प्रिय माना जाता है नवरात्रि के शुभ अवसर पर धतूरे का जड़ को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा करने से हर तरह के टोना टोटका से राहत मिलती है।
6. शंखपुष्पी के जड़ का पूजा करें
नवरात्रि के शुभ अवसर पर शंखपुष्पी के जड़ को चांदी के डिब्बी में रखके पैसे के गल्ले में रखना चाहिए एवं पूजा करना चाहिए ऐसा करने से हमारे घर में धन की वृद्धि होती है।
इस बार 2021 में नवरात्र का पावन पर्व 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है एवं 14 अक्टूबर को महानवमी एवं 15 अक्टूबर को दशहरा है।
इस बार नवरात्र में तृतीय एवं चतुर्थी की पूजा एक ही दिन की जाएगी। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री का पूजन होगा और दूसरे दिन यानी 8 अक्टूबर को ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी और 9 अक्टूबर को चंद्रघंटा एवं चौथी देवी मां कुष्मांडा की भी पूजन हो जाएगी।
10 अक्टूबर को पंचमी तिथि होगी और इस दिन मां स्कंदमाता की पूजन की जाएगी, 11 अक्टूबर को षष्ठी तिथि रहेगी और इस दिन मां कात्यानी की पूजन होगी।
12 अक्टूबर को सप्तमी होगी और इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी, एवं 13 अक्टूबर को अष्टमी रहेगी और इस दिन मां महागौरी की पूजन की जाएगी।
14 अक्टूबर को नवमी रहेगा और इस दिन मां सिद्धदात्री का पूजन किया जाएगा एवं 15 अक्टूबर को दशहरा या विजयादशमी का पावन पर्व मनाएंगे।
दान में अद्भुत शक्ति
दशहरा के त्यौहार में हम शक्ति की पूजा करते हैं लेकिन अगर आप इस बार के दशहरा में 7 से लेकर 15 तारीख तक रोजाना दान करते हैं एवं कम से कम 6 कन्याओं का पूजन करते हैं तो इससे आपको अद्भुत लाभ मिलेंगे।
6 कन्याओं का पूजन करने के बाद उनको प्रसाद में नारियल एवं केले का प्रसाद देवें। आप एक नारियल को तोड़कर 6 हिस्सों में बांट लें एवं साथ में एक-एक पेठा भी रखें और एक-एक केला और अपने बजट के अनुसार कुछ दक्षिणा रखें फिर इन प्रसाद को कन्याओं को दें।
दशहरा पर शमी वृक्ष की पूजा का अद्भुत लाभ
वैसे तो शमी वृक्ष की पूजा आप कभी भी कर सकते हैं लेकिन दशहरा के विजयादशमी पर इस पूजा का लाभ अद्भुत होता है।
कई युगों से विजयादशमी के अवसर पर खास करके शमी वृक्ष की पूजा सुख शांति एवं वैभव के लिए किया जा रहा है।
कम से कम हर वर्ष दशहरा के मौके पर विजयादशमी को शमी वृक्ष का पूजा तो करना ही चाहिए इस पूजा को पुराने जमाने में राजा महाराजा अपने राज्य में सुख शांति एवं वैभव के लिए किया करते थे।
शमी वृक्ष मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान एवं दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है एवं शमी वृक्ष में भगवान शिव का वास होता है।
शमी वृक्ष की पूजा से हमारे जीवन में सुख शांति आती है एवं बाधाएं दूर होती है एवं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शमी वृक्ष की पूजा से शनि ग्रह की शांति होती है।
वास्तु शास्त्र में भी शमी वृक्ष का बहुत बड़ा महत्व होता है। कई बार खेतों में बोरिंग करने के लिए या कहीं कुआं खोदने के लिए जमीन के नीचे पानी है कि नहीं इसकी जानकारी के लिए शमी वृक्ष का सहायता लिया जाता है।
शमी वृक्ष को आप गमले में लगाकर अपने घर के पूर्व दिशा में रख सकते हैं अगर आपके घर में पूर्व दिशा में जगह नहीं है तो आप इसे पश्चिम दिशा में भी रख सकते हैं लेकिन दशहरा के विजयादशमी के मौके पर इसे पूर्व दिशा में रखकर ही पूजा करें।
समस्त प्रकार के रोगों एवं बाधाओं और शत्रुओं को दूर करने के लिए विजयादशमी के मौके पर समी वृक्ष का पूजा जरुर करें।
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और अंत में
तो हमने यहां पर जाना की Dussehra Kaise Manaya Jata Hai अगर आपके मन में अभी भी दशहरा पूजा से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें जरूर बताएं
Adbhut Jankari sir
thanku
very informative