इस पोस्ट में हम सीखेंगे की Computer क्या है, इसका परिभाषा क्या होता है एवं इसका पूरा नाम क्या है। यानी इस पोस्ट के पढके आप Computer के बारे में वो सभी जानकारियां जान पाएंगे जिसे आप इंटरनेट पर ढुंढते हैं।
जब हमारे देश में पहली बार कंप्यूटर आया था तो लोगों को लगा था कि ये सभी लोगों का नौकरियां खा जाएगा लेकिन इसके आते ही कंप्यूटर क्रांति हो गई। इस पोस्ट को पढ़कर आप ये जान पाएंगे कि Computer Kya Hai इसकी उपयोगिता एवं विशेषताएं किस तरह से है और शुरुआती में आने वाले कंप्यूटर किस तरह के हुआ करते थे।
कंप्यूटर क्या है What is Computer in Hindi
कंप्यूटर एक Electronic Device होता है जब हम कंप्यूटर के अंदर किसी भी डाटा को डालते हैं तो कंप्यूटर उस डाटा का गणना करके रिजल्ट के रूप में हमारे सामने दिखाता है।
जब हम कंप्यूटर के अंदर कोई डाटा डालते हैं उदाहरण के लिए कीबोर्ड में कुछ टाइप करते हैं तो कंप्यूटर में प्रोसेसर के द्वारा उस डाटा का प्रोसेसिंग होता है और फिर उसका रिजल्ट कंप्यूटर हमें दिखाता है।
एक दूसरा उदाहरण में कंप्यूटर एक तरह से एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करता है एवं इनपुट किए गए डाटा की गणना करके उसका रिजल्ट हमारे सामने दिखाता है।
पिछले पोस्ट में हमने सीखा था कि Computer ShortCut Key क्या है कैसे इस्तेमाल करें, इस पोस्ट में हम कंप्यूटर का संपूर्ण परिभाषा जानेंगे।
कंप्यूटर का परिभाषा क्या है?
वो सभी तरह के डिवाइस जो हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करती हो वो कंप्यूटर कहलाती है उदाहरण के लिए आप एक कैलकुलेटर को भी कंप्यूटर बोल सकते हैं।
क्योंकि केलकुलेटर में आप कुछ जोड़ते या घटाते हैं या फिर गुंणा या भाग करते हैं इसके अलावा भी आप कई तरह के टास्क को पूरा करते हैं।
जब आप कैलकुलेटर में कुछ नंबर टाइप करके जोड़ने या घटाने के लिए ओके का बटन दबाते हैं और तुरंत ही कैलकुलेटर उन संख्याओं को प्रोसेस करके उसका रिजल्ट आपके सामने दिखा देता है।
यानी हम कंप्यूटर या कैलकुलेटर में डाटा को इनपुट करते हैं और ये हमें उस डाटा का प्रोसेस करके आउटपुट के रूप में उसका रिजल्ट दिखाते हैं और इसी को कंप्यूटर कहा जाता है।
Input और Output क्या है?
हमने ऊपर Input और Output शब्दों का इस्तेमाल किया लेकिन क्या आपको पता है ये क्या होता है?
जब हम कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं तो कीबोर्ड के माध्यम से कुछ टाइप करते हैं या फिर माउस के सहारे कंप्यूटर को कुछ निर्देश देते हैं तो ये कीबोर्ड और माउस Input कहलाएगा।
फिर जैसे ही हम कीबोर्ड या माउस के सहारे कंप्यूटर को कुछ निर्देश देते हैं वैसे ही कंप्यूटर में लगा हुआ प्रोसेसर उस डाटा का प्रोसेस करके डिस्प्ले पर रिजल्ट दिखाता है तो डिस्प्ले Output कहलाएगा।
एक दूसरा उदाहरण में जब हम माइक में बोलते हैं तो स्पीकर से आवाज आती है तो माइक को हम Input कहते हैं और स्पीकर को Output कहा जाता है।
क्योंकि जब हमने माइक में इनपुट किया या आवाज डाला तभी स्पीकर से आवाज आउटपुट हुआ या फिर बाहर निकला।
Computer शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
Computer शब्द की उत्पत्ति Compute शब्द से हुई। Compute एक लैटिन भाषा है जिसका मतलब “गणना करना” होता है।
कंप्यूटर का हिंदी नाम “संगणक” है। कंप्यूटर का इस्तेमाल शुरुआती दौर में सिर्फ गुणा भाग या जोड़ने घटाने के लिए किया जाता था लेकिन आज के समय में तो हमारी समस्याओं का लगभग सभी समाधान कंप्यूटर में उपलब्ध है।
Computer का Full Form क्या होता है?
कंप्यूटर इंग्लिश के 8 शब्दों से बना है और इन एक-एक शब्दों का अपना अलग अलग महत्व है। Computer में लगे आठों शब्दों के अलग-अलग महत्व नीचे लिस्ट में देखें।
- C. Commonly आम तौर पर
- O. Operated संचालित
- M. Machine मशीन
- P. Particularly विशेष रूप से
- U. Used in प्रयुक्त
- T. Teehnical तकनीकी
- E. Educational शैक्षिक
- R. Research अनुसंधान
Computer में 8 स्पेलिंग है और हर एक शब्द का अलग अर्थ बताया गया है। शुरुआती के तीन अक्षर COM यानी Commonly Operated Machine इसका मतलब ये हुआ कि इस मशीन को हर कोई ऑपरेट कर सकता है।
इसके आगे का दो शब्द PU यानी Particularly Used in इसका मतलब ये हुआ कि इसका इस्तेमाल विशेष रूप से TER यानी Teehnical या तकनीकी, Educational या शैक्षिक और Research या अनुसंधान कार्यों में किया जा सकता है।
कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं?
कंप्यूटर के कार्य क्षमता के आधार पर इसे चार या इससे भी अधिक श्रेणियां में बांटा गया है इसमें सबसे बड़ा श्रेणी ‘सुपर कंप्यूटर’ को रखा गया है एवं सबसे छोटा श्रेणी माइक्रो कंप्यूटर।
सुपर कंप्यूटर: सुपर कंप्यूटर वो कंप्यूटर होते हैं जो बहुत ही तेजी से बड़ा से बड़ा डाटा को कुछ ही क्षण में इनफॉरमेशन में बदलने की क्षमता रखते हैं। जब आप न्यूज़ में मौसम की भविष्यवाणी देखते हैं तो ये भविष्यवाणी सुपर कंप्यूटर के मदद से ही ली जाती है। इसके अलावा डाटा माइनिंग, युद्ध में लड़े जाने वाले बड़े-बड़े मिसाइल का डिजाइन या बड़ा से बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर का डिजाइन इत्यादि सुपर कंप्यूटर के द्वारा ही होता है। धरती के अलावा अन्य ग्रहों पर यान भेजने के लिए कार्य के डिजाइन इत्यादि भी सुपर कंप्यूटर ही सुलझाते हैं।
सुपर कंप्यूटर में कई सारे शक्तिशाली माइक्रोप्रोसेसर लगे होते हैं ये प्रोसेसर का साइज बहुत छोटा होता है लेकिन ये बहुत ही आसानी से बड़ा से बड़ा कार्य को करने में सफल होते हैं। अगर बहुत जटिल या बहुत बड़ा काम होता है तो उसे सुपर कंप्यूटर से करवाने के लिए सुपर कंप्यूटर में कई सारे प्रोसेसर को एक साथ जोड़ दिया जाता है जिसे पैरेलेल कहा जाता है।
मेनफ्रेम कंप्यूटर: ये कंप्यूटर भी बहुत ज्यादा शक्तिशाली होते हैं और ये भी बड़े-बड़े कार्यों को करते हैं लेकिन सुपर कंप्यूटर के तुलना में इसके कार्य क्षमता से होते तो छोटे ही है। इस कंप्यूटर की क्षमता इतनी होती है कि इस पर एक समय में 256 से भी ज्यादा लोग कार्य कर सकते हैं। इस कंप्यूटर का निर्माण आईबीएम कंपनी करती है जो कि अमेरिका की कंपनी है और ये बहुत बड़ी संख्या में मेनफ्रेम कंप्यूटर का निर्माण करती है।
मिनी कंप्यूटर: ये कंप्यूटर माइक्रो या छोटे कंप्यूटर से बड़े होते हैं लेकिन मेंनफ्रेम कंप्यूटर से छोटे होते हैं। मिनी कंप्यूटर के स्पीड की कार्य क्षमता 10 से लेकर 30 MIPS होती है और इसका कीमत माइक्रो कंप्यूटर से ज्यादा देखा गया है साथ ही कार्य करने की क्षमता भी ज्यादा होता है।
माइक्रो कंप्यूटर: माइक्रो कंप्यूटर को पर्सनल कंप्यूटर भी कहा जाता है क्योंकि ये छोटे-छोटे डिवाइस होते हैं जो की पर्सनल कामों में इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैब इत्यादि।
माइक्रो कंप्यूटर का पहला संस्करण 1981 में बनाया गया था जिसके अंदर 8088 माइक्रोप्रोसेसर प्रयुक्त किया गया था। माइक्रो कंप्यूटर निम्नलिखित तरह के होते हैं।
- Desktop
- Laptop
- Tablet
- Servers
- Smartphone
- Wearable
- Game Control
- TV
- ATM Machine
- Calculator
- Ultrasound machine
- Ventilator machine इत्यादि
ऊपर दिए गए सभी छोटा से लेकर बड़ा डिवाइस सभी के सभी कंप्यूटर ही बोले जाते हैं क्योंकि इनके अंदर इनपुट के रूप में डाटा दिया जाता है और फिर ये उसे प्रोसेस करके आउटपुट के द्वारा हमारे सामने उसका उत्तर प्रदान करते हैं।
कंप्यूटर में विशेषता क्या है?
कंप्यूटर में गति से लेकर स्वचालन एवं शुद्धता और सार्वभौमिकता इत्यादि की विशेषता होती है। कंप्यूटर के आ जाने से कई घंटों या कई दिनों के काम चंद मिनट या सेकंड में होने लगे थे।
Computer का स्पीड अन्य डिवाइस से कई गुना तेज होती है
उदाहरण के लिए आप एक जगह से दूसरे जगह पर पैदल जाने में कई घंटों का समय लेंगे लेकिन अगर आप वहां पर साइकिल से जाएं तो और जल्दी पहुंचेंगे लेकिन अगर आप उस स्थान को हवाई यात्रा के द्वारा पूरा करें तो फिर साइकिल से भी कई गुना जल्दी पहुंच जाएंगे।
ठीक है ऐसे ही जिस गणना को आप कैलकुलेटर से करते हैं तो 2 मिनट का समय लगता है लेकिन ऐसे ऐसे लाखों गणनाओं को आप कुछ ही सेकंड में कंप्यूटर से कर सकते हैं।
Computer में स्वचालित रूप से काम करने की क्षमता बहुत तेज होती है
Computer में आप किसी भी काम को स्वचालित रूप से सेट कर सकते हैं और आपके कहे बिना ही समय-समय पर Computer आपके उस काम को सफलतापूर्वक करता रहेगा।
Computer अपने काम को बिना गलती कीये करता है
अगर आपको बहुत सारा जोड़ घटाव एक साथ दे दिया जाए तो आप उसमें कई सारी गलतियां कर डालेंगे लेकिन अगर आप कंप्यूटर में सही डाटा इनपुट कर रहे हैं तो फिर ये बिना कोई गलती कीये आपके सामने रिजल्ट देगा।
Computer में High Storage क्षमता होती है
अन्य डिवाइस के तुलना में Computer के अंदर Data Store करने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। कंप्यूटर के अंदर लाखों या करोड़ों की संख्या में Files, Images, Games इत्यादि को स्टोर किया जा सकता है और कुछ ही सेकंड में आप किसी भी फाइल को ढूंढ के निकाल सकते हैं।
Computer लगातार काम कर सकता है
हम मानव कोई भी काम ज्यादा समय तक करने पर थक जाते हैं और हमारी काम करने का क्षमता भी धीमा होने लगती है लेकिन इसके विपरीत Computer कई दिनों महीनों या फिर सालों तक लगातार काम कर सकता है और इसकी काम करने की क्षमता भी वैसे ही बनी रहती है।
Computer में याद रखने की क्षमता ज्यादा होती है
वैसे तो इंसानी दिमाग एक बहुत बड़ा कंप्यूटर है लेकिन इसके लिए हमें अपने स्वास्थ्य पर लगातार ध्यान देना होता है लेकिन कंप्यूटर कई वर्षों तक किसी भी बात को याद करके रख सकता है और जरूरत पड़ने पर कुछ ही सेकंड में उस डाटा को आपके सामने उपलब्ध करा सकता है।
Computer में ROM क्या होता है?
ROM का Full Form होता है Read Only Memory यानी आप इसे सिर्फ पढ़ सकते हैं। ROM मदर बोर्ड के अंदर इंस्टॉल होता है।
ROM को inbuild software कहा जाता है इसमें हम कुछ भी बदलाव नहीं कर सकते हैं इसे कंपनी वाले ही टास्क को सेट करके रखती है।
उदाहरण के लिए जब आप अपने Computer को ऑन करते हैं तो शुरुआती में डिस्प्ले पर उस कंपनी का नाम लिखकर आता है।
और फिर आपका कंप्यूटर स्टार्ट होता है तो वो नाम ROM के अंदर ही सेट करके रखा गया होता है आप जब भी कंप्यूटर को स्टार्ट करेंगे तो पहले वो नाम लिख कर आएगा क्योंकि ROM के अंदर इस टास्क को सेट किया गया है।
ROM के अंदर कंपनी वाले जो भी टास्क सेट कर दिए होते हैं वो उसे भूलता नहीं है उदाहरण के लिए आपका कंप्यूटर बिजली चले जाने के वजह से बीच में बंद हो गया तो ROM में जो भी टास्क चल रहा था वो वहीं पर रुका रहेगा और बिजली वापस आने पर वही से वो काम फिर से चालू होगा।
अगर आपके घर में वाशिंग मशीन हैं तो आपने ध्यान दिया होगा जब वाशिंग मशीन चलता है तो बाय साइड में चार बार और फिर दाहिने साइड में चार बार लेकिन अगर वो मशीन बाएं साइड में 4 बार चला और बिजली चली गई तो वहीं पर रुक जाएगा।
फिर जब बिजली आएगा तो वो मशीन अब दाहिने साइड में चलना शुरू होगा क्योंकि बिजली जाने के पहले वो बाएं साइड में चार बार चल लिया था और ये बात उस मशीन में सेट किया गया ROM के अंदर याद रहता है।
ROM का इस्तेमाल कई डिवाइसेज में होता है जैसे Computer, Mobile Phone, Remote, microwave oven इत्यादि।
आपके पास मौजूद किसी भी तरह के डिवाइस में जो भी काम अपने आप हो रहा है वो ROM या Read Only Memory के द्वारा ही होता है जिसे कंपनी वाले सेट करके रखते हैं।
कंपनियों ने ROM को अभी तक 3 तरह से डिजाइन किए हैं।
- 1. PROM
- 2. EPROM
- 3. EEPROM
शुरुआती में PROM को डिजाइन किया गया था इसका मतलब Programmable Read Only Memory और इसके अंदर जो भी प्रोग्राम सेट किए गए होते हैं उसे कभी भी चेंज नहीं किया जा सकता है।
लेकिन आगे चलकर कंपनी वालों को ऐसा लगा कि इसे इस तरीके से डिजाइन करना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर ROM के अंदर डाली गई बातों को चेंज किया जा सके फिर उन्होंने EPROM का आविष्कार किया।
EPROM
EPROM का मतलब हुआ Eraser Programmable Read Only Memory यानी इस ROM में डाला गया डाटा को कंपनी वाले मिटा सकते हैं और नया डाटा डाल सकते हैं लेकिन उसके लिए मेहनत थोड़ा ज्यादा लग रहा था।
EPROM से डाटा मिटाने और नया डाटा डालने के लिए इसे कंप्यूटर से बाहर निकाल कर मशीन में लगाकर डाटा मिटाना और नया डाटा डालने के बाद फिर से कंप्यूटर में डालना होता था जो कि काफी डिफिकल्ट काम था।
EEPROM
फिर कंपनी वालों ने इससे भी थोड़ा आगे बढ़कर EEPROM यानी Electrically Erasable Programmable Read Only Memory का आविष्कार किया।
यानी अब कंपनी वाले किसी भी तरह के डिवाइस से ROM को बाहर निकाले बिना उसके डाटा को मिटा और नया डाटा डाल सकते हैं।
Computer में RAM क्या होता है?
RAM का Full Form होता है Random Access Memory और इसी से हमारा कंप्यूटर फास्ट चलता है। RAM को हिंदी में सूचना भंडारण उपकरण कहा जाता है क्योंकि ये अभिकलित्र में प्रयुक्त सभी सूचनाओं को सहेज कर रखती है।
उदाहरण के लिए आपका खाना पतीला में रखा है लेकिन आप पतीला में ही नहीं खाएंगे आप पहले उसे थाली में निकालेंगे और फिर खाएंगे तो उसी थाली को RAM कहा जाता है।
और पतीला को Hard Drive कहा जाता है। अगर आपके Computer में हार्ड ड्राइव बहुत ज्यादा है और RAM कम है तो फिर आपका कंप्यूटर फास्ट नहीं चल पाएगा।
क्योंकि आपका पेट तो बहुत बड़ा है लेकिन मुंह छोटा है इसलिए आप थोड़ा थोड़ा ही खा पाएंगे जब पेट बड़ा है तो फिर मुंह भी बड़ा होना चाहिए यानी कि Hard Drive के साथ RAM भी ज्यादा होना चाहिए तभी आपका Computer फास्ट चलेगा।
अचानक बिजली कट जाने पर आपके Computer में किया गया सभी काम बेकार हो जाता है क्योंकि RAM भूल जाता है।
जब तक आपके Computer में बिजली होता है तब तक हम काम करते है और अगर आप बिजली कटने के पहले अपने काम को सेव नहीं करते हैं तो फिर RAM उसे भूल जाता है और दोबारा कंप्यूटर चालू होने पर वो सभी काम हमें दोबारा से करना पड़ता है।
ROM और RAM में क्या अंतर है?
ROM यानी Read Only Memory जो भी टास्क एक बार सेव कर दिए जाते हैं वो हमेशा के लिए इसमें बना रहता है।
लेकिन RAM में किए गए काम को सेव ना करने पर Computer बंद होने के बाद वो सभी काम मिट जाते हैं यानी रैम उन सभी काम को भूल जाता है और कंप्यूटर दोबारा चालू होने पर उस काम को दोबारा करना पड़ता है।
Computer में HDD क्या होता है?
HDD का Full Form होता है Hard Disk Drive.
Hard मतलब एक सख्त डिवाइस Disk का मतलब गोल घूमने वाला CD और Drive का मतलब ड्राइवर या चलाने वाला।
यानी Hard के अंदर एक CD होता है जिसे Drive घूमाता रहता है या चलाता रहता है। Hard Disk Drive का छोटा नाम HDD होता है और कई लोग इसे HD यानी Hard Drive भी बोलते हैं।
हमारे Computer के अंदर जितने भी डाटा होते हैं वो सभी HDD या Hard Disk Drive में ही पड़े रहते हैं।
SSD क्या है?
SSD का Full Form होता है Solid State Drive और ये HDD का ही अपग्रेडेड वर्जन है।
HDD के ऊपर दबाव पड़ने पर टूटने का डर होता है और आपके कंप्यूटर के सभी डाटा लॉस होने का डर होता है लेकिन SSD मजबूत होता है ये टूटता नहीं है और काफी तेजी से काम करता है।
SSD का साइज भी कम होता है जिसके वजह से ये हमारे Computer का बैटरी भी कम इस्तेमाल करता है।
HDD सिर्फ 55 डिग्री सेल्सियस तापमान को बर्दाश्त करता है लेकिन SSD 70 डिग्री सेल्सियस तापमान को आसानी से बर्दाश्त कर लेता है।
Computer में HDD लगायें या SSD?
क्योंकि SSD का साइज भी छोटा होता है और ये फास्ट भी चलता है और बैटरी भी कम खाता है तो हम आपको अपने कंप्यूटर में SSD ही लगाने का सलाह देंगे।
लेकिन आप चाहे तो SSD के साथ HDD भी लगा सकते हैं और जो काम आपको तेजी से करना होता है उसे SSD में रखें बाकी के फाइल को HDD में रख सकते हैं।
आप अपने Computer में सभी सॉफ्टवेयर या गेम इत्यादि को SSD में रख सकते हैं और वीडियो या इमेजेस को HDD में रखें।
Cache Memory क्या होता है?
Cache Memory सीपीयू के सबसे नजदीक में लगा होता है और हम अपने Computer में जिस भी फाइल को सबसे ज्यादा यूज करते हैं बार-बार ओपन करते हैं उस फाइल को Cache Memory अपने पास में रख लेता है।
Cache Memory हमारे Computer में हमारे द्वारा किए गए काम पर नजर रखता है और जिस काम को हम बार-बार करते हैं उसके फाइल को अपने पास में इसलिए रखता है ताकि अगली बार जब हम उसे ओपन करें तो वो तुरंत ही ओपन हो जाए।
उदाहरण के लिए अगर आप अपने Computer में कोई भी कीवर्ड को बार-बार सर्च करते हैं तो अगली बार जब आप उस कीवर्ड का कुछ Text जैसे टाइप करते हैं वैसे वो पूरा कीवर्ड नीचे सजेशन में दिखाया जाता है।
और आप उस पूरा कीवर्ड को टाइप न कर के नीचे दिखाए गए सजेशन कीवर्ड पर क्लिक करते हैं इस तरीके से आप पूरा का पूरा कीवर्ड टाइप करने से बच जाते हैं क्योंकि उस कीवर्ल्ड को हमारे Computer के Cache Memory संभाल के रख लिया था।
Cache Memory को समय-समय पर क्लियर करते रहना चाहिए क्योंकि ये भर जाता है और फिर सही तरीके से काम नहीं करता है।
Graphic Card क्या होता है?
Graphic Card के मदद से हमारे Computer में किसी भी तरह के मीडिया जैसे वीडियो, फोटो या गेम में कलर का प्रभाव आता है।
अगर आपके Computer में Graphic Card नहीं रहेगा तो फिर आप किसी भी वीडियो या फोटो को कलर में नहीं देख पाएंगे, यही वजह है कि हमारे कंप्यूटर में जितना ज्यादा से ज्यादा ग्राफिक होता है उतना ही अच्छा तरीके से हम किसी गेम को खेल पाते हैं।
अगर आप कहीं से कोई Full HD Video या high resolution वाला इमेज अपने कंप्यूटर में लाते हैं और आप चाहते हैं कि उसी क्वालिटी में आपके कंप्यूटर में दिखे तो फिर आपके कंप्यूटर में एक बढ़िया Graphic Card होना चाहिए।
ग्राफिक इतना तेजी से काम करता है कि आप किसी भी इमेज को तेजी से जूम इन या जूम आउट करते हैं तो कलर कंबीनेशन को बिगड़ने नहीं देता है।
Computer Hardware and Software क्या है?
Hardware और Software को मिलाकर ही हमारा कंप्यूटर चलता है और हम इस पर काम कर पाते हैं। अगर हार्डवेयर ना हो तो सॉफ्टवेयर किसी काम का नहीं और अगर सॉफ्टवेयर ना हो तो फिर हार्डवेयर भी किसी काम का नहीं रहेगा।
Hardware
Hardware हमारे Computer का वो सभी पार्ट होता है जिसको हम छू सकते हैं जैसे कंप्यूटर का डिस्प्ले, माउस, कीबोर्ड या कंप्यूटर के अंदर लगे सभी सामान।
Software
हमारे Computer के डिस्प्ले में जो भी चीजें दिखाई पड़ती है वो Software होता है उसे हम सिर्फ देख सकते हैं महसूस करते हैं लेकिन छू नहीं सकते हैं।
अगर हम Software को छूने की कोशिश करेंगे तो हमारा उंगली हमारे कंप्यूटर के डिस्प्ले को टच करेगा उसके अंदर दिख रहे एप्स या ब्राउज़र या अन्य चीजों को हम छू नहीं पाएंगे।
Software का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे Computer के Operating System होता है इसके अलावा हमारे कंप्यूटर में एप्स या ब्राउज़र या अन्य चीजें जो डिस्प्ले के अंदर दिखती है वो Software होता है।
Software मुख्य रूप से 2 तरह के होते हैं पहला System Software और दूसरा Application Software.
System Software
System Software हमारे Computer और Hardware को सपोर्ट करते हैं इसी के मदद से हम अपना कंप्यूटर को चला पाते हैं।
System Software का सबसे बड़ा उदाहरण है आपका ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे Windows या Mac इत्यादि।
Application Software
हम अपने कंप्यूटर में Application Software के मदद से ही अलग-अलग तरह के काम को कर पाते हैं।
हमारे Computer के अंदर जितने भी Apps होते हैं जैसे Photoshop, Coreldraw, ms word, excel इत्यादि, ये सभी Application Software कहलाते हैं।
Motherboard क्या है?
Motherboard हमारे Computer की मां होती है जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है इसके अंदर हमारे कंप्यूटर का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
Motherboard के अंदर Hard Disk, Pan Drive, Mouse, Keyboard, CPU, RAM इत्यादि ये सभी चीजें मदरबोर्ड के ही अंदर लगाया जाता है।
CPU/Processor क्या है कैसे काम करता है?
CPU को ही Processor कहा जाता है और CPU का Full Form यानी पूरा नाम Central Processing Unit होता है।
Processor यानी प्रोसेस करना या इसे सरल शब्दों में कहा जाए तो गणना करना भी होता है। अगर आपको कुछ टास्क दिया जाए जैसे 2+2 कितना होता है तो आप तुरंत इसका उत्तर बता देंगे कि 4 होता है।
जब आपने 2 प्लस 2 को जोड़कर 4 बताया तो ये आपका दिमाग ने प्रोसेस किया ठीक ऐसे ही कंप्यूटर के अंदर प्रोसेसर हमारे सभी सवालों का हल करता है या प्रोसेसिंग करता है इसलिए उसे प्रोसेसर कहा जाता है।
Core क्या है?
पहले Processor में एक ही भाग हुआ करता था एक बड़ा सा प्रोसेसर हुआ करता था लेकिन अभी प्रोसेसर का साइज घटकर एक बिस्किट के बराबर बन गया है और उसी के अंदर दो, तीन या फिर 4 भाग कर दिए गए हैं।
अगर एक Processor के अंदर दो भाग है तो उसे Dual Core Processor कहां जाता है इसी तरह 3 या 4 भाग वाले को Quad Core Processor कहा जाता है।
अभी तक मुख्य रूप से 6 तरह के प्रोफेसर बने हैं जैसे-
- Single Core processor मतलब एक कोर वाला प्रोसेसर
- Dual core processor मतलब दो कोर वाला प्रोसेसर
- Quad Core processor मतलब चार कोर वाला प्रोसेसर
- Hexe Core Processor मतलब 6 कोर वाला प्रोसेसर
- Octa Core processor मतलब 8 कोर वाला प्रोसेसर
- Deca Core processor मतलब 10 कोर वाला प्रोसेसर
आपके Computer में जितने ज्यादा से ज्यादा Core वाला Processor होता है उतना ही ज्यादा से ज्यादा आपका कंप्यूटर फास्ट चलता है उसमें प्रोसेसिंग की गति तेज होती है।
Single Core processor जितना काम को 5 मिनट में करेगा उतना काम को Dual core processor 2:30 मिनट में ही कर देगा इसलिए जितना ज्यादा से ज्यादा कोर हमारे प्रोसेसर के अंदर होता है उतना ही ज्यादा फास्ट हमारा कंप्यूटर चलता है।
जब आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल के ब्राउजर में कई सारे टैब को एक साथ ओपन करते हैं और मल्टीटास्क करते समय प्रोसेसिंग का क्रिया धीमा हो जाता है इसका मतलब आप के मोबाइल या कंप्यूटर के Processor में Core कम है।
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कंप्यूटर के नुकसान
Computer के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन कभी-कभी हमारे लापरवाही के वजह से हमें इसका बहुत बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ता है जो निम्नलिखित है।
Virus & Hacking Attacks
कई बार हमारे Computer में उपलब्ध जानकारी जैसे पासवर्ड, ईमेल, बैंक अकाउंट डिटेल्स या एटीएम कार्ड का डिटेल्स इत्यादि चुराने के लिए Hackers हमारे कंप्यूटर में वायरस डालने की कोशिश करते हैं और हैकिंग अटैक करते हैं।
अगर आपके पास कोई ईमेल आया है और आप उसे अपने Computer में ओपन कर रखे हैं तो उस ईमेल के अंदर अटैचमेंट को डाउनलोड करने से पहले उसका जांच अच्छी तरह से करें।
क्योंकि कई बार हैकर ईमेल के द्वारा अटैचमेंट में वायरस भेजते हैं और हम उसे जैसे ही अपने सिस्टम में डाउनलोड या इंस्टॉल करते हैं वैसे ही वो वायरस हमारे सिस्टम को घेर लेते हैं और फिर हमारे Computer के सभी जानकारी हैकर्स के पास चली जाती है।
किसी भी तरह के USB Card को अपने कंप्यूटर में लगाने से पहले उसे स्कैन जरूर करें क्योंकि यूएसबी कार्ड के जरिए भी आपके सिस्टम में वायरस अटैक हो सकता है।
Password Hack
हमे अपना Computer का Password या कंप्यूटर के अंदर किसी भी तरह के अकाउंट का पासवर्ड को मजबूत बनाने चाहिए और इसे समय-समय पर चेंज करते रहना चाहिए।
Hackers हमारे पासवर्ड को हैक करने के लिए brute force hacking attack तरीके का इस्तेमाल करते हैं इस अटैक में हैकर अल्फाबेट या न्यूमैरिक को मिक्स करके आपके पासवर्ड को क्रैक करने की कोशिश करते हैं।
अब ऐसे में अगर आपके Computer का Password छोटा है या आसान है तो फिर हैकर आपके पासवर्ड को Crack कर लेते हैं।
Phishing Attack
Phishing Attack हैकरों का सबसे पसंदीदा तरीका है किसी के भी कंप्यूटर को हैक करने के लिए इसलिए इस अटैक के बारे में लगभग सभी जानते हैं और सभी को जानकारी रखनी चाहिए तभी आप अपने कंप्यूटर की रक्षा फिशिंग अटैक से कर पाएंगे।
सामान्यतः Phishing Attack में हैकर्स कोई बड़ी वेबसाइट से मिलती-जुलती फेक वेबसाइट बनाते हैं और जिस किसी का भी कंप्यूटर या पासवर्ड को हैक करना होता है उनके पास उस फेक वेबसाइट का लिंक भेजते हैं।
उदाहरण के लिए कोई हैकर फेसबुक जैसा दिखने वाला एक फेक वेबसाइट बनाया और उसका लिंक आपके पास भेजा और उसमें लिखा होता है कि आप अपने फेसबुक अकाउंट का पासवर्ड को तुरंत चेंज करें नहीं तो आपका अकाउंट हैक हो जाएगा।
अब आप उस लिंक पर क्लिक करते हैं और फेसबुक जैसा ही एक पेज ओपन होता है आप उसे ही ओरिजिनल फेसबुक मानकर अपना यूजर आईडी और पासवर्ड डालते हैं लॉग इन करने के लिए और इतना करते हैं आपके फेसबुक अकाउंट की जानकारी हैकर्स के पास चला जाता है।
Online Cyber Crimes
जो भी जुर्म हमारे लैपटॉप, डेक्सटॉप, टेबलेट या मोबाइल या Internet के जरिए किए जाते हैं उसे हम Online Cyber Crimes कहते हैं।
कई बार हैकर्स Online Cyber Crimes के जरिए हमें फंसा लेते हैं और फिर फिरौती मांगते हैं कई बार धमकी भी दिया जाता है इसलिए अपने Computer में किसी भी साइट को ओपन करने से पहले और वहां पर अपना डिटेल्स भरने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच पड़ताल करें।
Computer चलाने के साथ ही कंप्यूटर से जुड़ी हर तरह के सुरक्षा के बारे में भी हमारे पास ज्ञान होना चाहिए ताकि किसी भी तरह का अटैक हमारे कंप्यूटर पर ना होने पावे।
भारत में कंप्यूटर कब आया
भारत में सन् 1952 में Analog Computer आ गया था और इसका सुरुआत Indian Statistical Institute Kolkata में हुआ था।
इस Analog Computer का छमता 10×10 मैट्रिक को हल करने का था। फिर आगे चलकर सन 1956 में कोलकाता के आई एस आई में पहला electric digital computer HEC – 2 को शुरू किया गया और यही कंप्यूटर भारत का पहला इलेक्ट्रिक कंप्यूटर था।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भारत में अपने 5 साल के राजनीतिक सफर के दौरान कंप्यूटर क्रांति लाए, और इतना ही नहीं टेलीकॉम और आईटी क्रांति का शुरुआत इन्हीं के जमाने में हुई थी।
वैसे तो शुरुआती में Computer का विरोध हुआ था लेकिन आगे चलकर इसी कंप्यूटर ने हर क्षेत्र में धूम मचा दिया और महीनों में पूरा होने वाला काम को चंद मिनटों में पूरा करने लगा।
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और अंत में
इस एपिसोड में हमने शिखा की Computer क्या है एवं कंप्यूटर से जुड़ी लगभग हर तरह की जानकारी हमने आपके साथ शेयर किया।
अगर आपके पास अभी तक Computer नहीं है तो आप एक लैपटॉप या डेक्सटॉप जरूर लें और सीखना शुरू करें, क्योंकि शुरुआती में किसी भी तरह के डिवाइस को चलाने में थोड़ा दिक्कत होता ही है लेकिन धीरे-धीरे मेहनत और लगन के मदद से हम उसका मास्टर बन जाते हैं।
आपको ये पोस्ट कैसा लगा नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें बताएं और यदि आपके पास इस पोस्ट से जुड़ी कोई सवाल या सुझाव है तो वो भी लिखें।
Bhut acha article hai sab section ache se cover kiya hai.
आभार आपका
Very nice information