short stories in hindi with moral 2024 कहानियों का संबंध बच्चों से ही होता है इसलिए इन्हें कहानियां पसंद होती है और नाना नानी या बड़े बुजुर्ग घर में बच्चों को इकट्ठा करके कहानियां सुनाया करते थे।
छोटे बच्चों को कहानियों के द्वारा ही बहुत कुछ सिखाया जा सकता है और short stories in hindi से उनको कई तरह के अच्छे-अच्छे शिक्षा मिलती है जिसके वजह से वो आगे चलकर अच्छे राह पर चल पाते हैं और भविष्य में भी कहानियों से मिली हुई सीख उनके काम आते रहते हैं।
बच्चों के कहानियां लिखने वाले कई तरह के लेखक होते हैं कुछ लेखक मछलियों की कहानी लिखते हैं तो कुछ शेर की कहानी और कुछ भूतों वाली कहानी कुछ लेखक नाना नानी के भी कहानी लिखते हैं।
आज से 20 साल पहले जब हमारे नाना जी हमारे घर आया करते थे तो Short Moral Stories in Hindi सुनाया करते थे और इन कहानियों को सुनने के लिए घर के सभी बच्चे इकट्ठे हो जाते थे और नाना जी को चारों ओर से घेर कर बड़े ही चाव से कहानियां सुना करते थे।
Best Short Stories in Hindi For Kids
हम इस Moral Stories in Hindi को इसलिए लिख रहे हैं ताकि छोटे बच्चे इन कहानियों को पढ़कर आनंद ले सके क्योंकि आज के समय में पहले जैसे नाना नानी कहानियां नहीं सुना पाते हैं लेकिन वो उन कहानियों को इस वेबसाइट पर आकर आसानी से पढ़ पाएंगे।
आप बच्चे हो बड़े हो या बुजुर्ग हो इस Short Story in Hindi को सभी लोग पढ़कर आनंद ले सकते हैं वैसे इसे बच्चों के लिए ही डिजाइन किया गया है ताकि वो इसे पढ़कर कुछ अच्छी सीख ले सकें।
1. तीन मछलियों की कहानी: Short Stories for Kids in Hindi
short stories in hindi: बहुत पहले की बात है तीन मछलियां एक ऐसी तालाब में रहती थी जो बहुत खूबसूरत था। उन तीनों में बहुत गहरी दोस्ती थी और दिन भर तैरते हुए आपस में खेलते रहते थे उन सभी का समय बहुत ही खुशहाल बीत रहा था।
उस तालाब में पास के गांव से अच्छी-अच्छी भोजन बह कर आता था और वो तीनों उसे बहुत ही मस्ती से खाते थे। अचानक एक दिन 2 मछुआरे उसी तालाब की ओर से गुजर रहे थे और उन्होंने मछलियों को देखा।
इन दोनों मछुआरों ने सोचा कि उस तालाब में बहुत सारी मछलियां होंगी और उन्हें पकड़ना चाहिए क्योंकि अगर वो ऐसा करेंगे तो उन मछलियों को बाजार में बेचकर ढेर सारा पैसा बना पाएंगे।
मछुआरों के बात उन तीनों मछलियों ने सुन लिया और वो बुरी तरह से डर गई और फिर उस तालाब को छोड़ने का योजना बनाने लगी।
लेकिन उसमें जो तीसरी मछली थी वो बोलने लगी कि मैं इस तालाब को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी क्योंकि मेरा परिवार पिछले कई सालों से इसी तालाब में रह रहा है।
दूसरी मछली भी तीसरी के ही साथ में उसी तालाब में रहने का फैसला किया लेकिन पहली मछली कुछ ज्यादा ही डरी हुई थी और वो उस तालाब को छोड़कर एक छोटे से झील के अंदर चली गई।
अब इस तालाब में सिर्फ दो मछली ही रह गई और दूसरे दिन वही मछुआरे एक बहुत बड़ा सा जाल लेकर उन मछलियों को पकड़ने के लिए पहुंचे।
मछुआरों ने तालाब में जाल फेंका और वो दोनों मछलियों के साथ उनका परिवार के भी छोटी मछलियां उस जाल में फस गई।
अब इसमें जो दुसरी मछली थी उसने मछुआरों से बचने के लिए एक नाटक किया और वो चुपचाप शांत पर गई। मछुआरों को लगा कि वो मर चुकी है इसलिए उन्होंने ये बोलते हुए उस मछली को वापस तालाब में फेंक दिया कि हम मरे हुए मछली को नहीं ले जाएंगे।
तो इस तरह से वो दूसरी मछली ने अपना दिमाग लगाकर अपना जान बचा लिया।
सीख
इस स्टोरी से हमें ये सीखने को मिलता है कि बुरे वक्त के समय हमें घबराना नहीं चाहिए बल्कि शांत दिमाग से उस बुरे वक्त से निकलने के लिए उपाय सोचना चाहिए।
2. टिड्डा की कहानी: Hindi Short Moral Stories
बहुत समय पहले एक वैज्ञानिक ने एक टिड्डे को पकड़ा था और फिर वो उसे अपनी आवाज पर छलांग लगाना सिखा दिया। जब भी वो वैज्ञानिक बोलता था छलांग लगाओ तो वो टिड्डा छलांग लगा देता था क्योंकि उसे वैज्ञानिक ने वही करने के लिए सिखाया था।
एक दिन उस वैज्ञानिक ने उस टिड्डे का एक पैर तोड़ दिया और फिर आवाज लगाया छलांग लगाओ, इस बार टिड्डे ने छलांग तो लगाया लेकिन एक पैर कम होने के वजह से कम दूरी पर छलांग लगा पाया।
अबकी बार उस वैज्ञानिक ने उस टिड्डे का दूसरा पैर तोड़ दिया और फिर बोला छलांग लगाओ इस बार टिड्डे ने और भी कम दूरी पर छलांग लगाया क्योंकि उसका दो पैर टूट चुका था।
ऐसे करके उस वैज्ञानिक ने उस टिड्डे का तीसरा पैर फिर चौथा पैर और फिर ऐसे करके सभी पैर तोड़ दिए और फिर बोला छलांग लगाओ लेकिन एक भी पांव ना होने के वजह से वो टिड्डा कुदना तो दूर की बात है हिल भी नहीं पाया।
अब उस वैज्ञानिक ने इस घटना का निष्कर्ष अपना डायरी में लिखना शुरू किया और फिर उसने ये लिखा कि जब टिंडे की एक टांग तोड़ी गई तो वो थोड़ा बहरा हो गया फिर दूसरा तोड़ा गया तो और ज्यादा बहरा हो गया और ऐसे करके सभी टांग टूटने पर टिंडा बिल्कुल ही बहरा हो गया क्योंकि अब तो चिल्लाने पर भी वो हिल नहीं पा रहा है।
लेकिन ये बात तो सभी समझ सकते हैं कि टिड्डे का टांग टूटने की वजह से वो छलांग नहीं लगा पा रहा था ना कि बहरा होने के वजह से। लेकिन कई बार हम अपने जीवन में ऐसे ही मूर्ख बन जाते हैं और कई बार हमारे जीवन में दो घटनाएं ऐसे घटती है जिसका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं होता है फिर भी हम दोनों घटनाओं को एक दूसरे से जोड़कर देखने की कोशिश करते हैं।
कई बार हमें कुछ और दिखता है लेकिन समझ में कुछ और आता है और वाकई में होता कुछ और है।
सिख
अगर हमें अपने जीवन में पछतावा से बचना है तो कभी भी जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए बल्कि निर्णय लेने से पहले अच्छी तरह से सोच विचार कर लेना चाहिए।
3. चींटी और कबूतर का Short Hindi Moral Stories
ये कहानी कुछ समय पहले की है एक चींटी पेड़ की ऊंचाइयों पर चढ़ी और तालाब के अंदर गिर पड़ी। ये घटना एक कबूतर ने देखा और उस चींटी को बचाने के लिए कोशिश करना शुरू कर दिया।
कबूतर ने उसी पेड़ से एक पत्ता तोड़ा और डूबती हुई चींटी के पास फेंक दिया और चींटी ने इस पत्ते के ऊपर चढ़कर अपना जान बचाई और कबूतर के तरफ देखते हुए उसे धन्यवाद दिया।
इस घटना के कुछ समय बाद एक पहेलिया जंगल में आया पहेलियों का तो काम ही होता है पक्षियों को पकड़ना। पहेलियां ने जमीन पर कुछ दाना छिड़कने के बाद उसके ऊपर अपना जाल डाल दिया ताकि कोई पक्षी दाना खाने आए और उसमें फंस जाए।
पहेलियां के इस तैयारी को उसी चींटी ने देखा जिसे कबूतर ने बचाया था। वो चींटी तुरंत समझ गई कि इस जाल में कहीं उसका दोस्त कबूतर न फंस जाए।
जिसका डर था वही होने जा रहा था, वो कबूतर उसी जाल के तरफ बढ़ रहा था दाना चुगने के लिए लेकिन इस बात से अनजान था कि उस दाना के पीछे जाल छुपा हुआ है और वो उसमें फंस सकता है।
चींटी घबरा गई और उसे तुरंत एक उपाय सुझ गया उसने छुपे हुए पहेलियां के पैर में इतना जोर से काटा की पहेलिये के मुंह से चीख निकल पड़ी और कबूतर का ध्यान उधर चला गया।
फिर कबूतर तुरंत ही समझ गया कि ये दाना नहीं बल्कि उसी पहेलियां का जाल है और फिर कबूतर दूसरी तरफ उड़ गया। तो ऐसे करके जिस तरह से कबूतर ने चींटी का जान बचाया था वैसे ही चींटी ने भी अपना कर्तव्य निभाते हुए कबूतर का जान बचाई।
सिख
एक कहावत कहा जाता है कि “कर भला तो हो भला” यानी अगर आप अच्छा करेंगे तो बदले में भी आपको अच्छा ही मिलता है बाकी बुरा कर्म करने वालों का घर खुद ही देख लें देर सवेर उन्हें बुराई का फल जरूर मिलता है।
4. हाथी और तोता: बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक तोता कई महीने से पिंजरे से आजाद होने की कोशिश कर रहा था और एक दिन उसे सफलता मिल भी गई और वो पिंजरे से बाहर निकल गया।
तोता सीधे जंगल के तरफ उड़ा और जंगल के वातावरण को देख कर बहुत खुश हुआ क्योंकि वहां पर उसे कई तरह के पके फल खाने को मिलने लगे और अब वो पूरी तरह से आजाद था।
जंगल में घूमते घूमते तोता को एक हाथी दिखा, हाथी अभी बच्चा था और पेंड़ के नीचे सो रहा था। हाथी को सोता देख तोते के मन में नटखट विचार आने लगे और वो हाथी को परेशान करके जगाने में लग गया।
कभी तोता हाथी के सिर पर बैठकर चोंच मारता तो कभी हाथी के पीठ पर बैठकर चोंच मार मार कर उसे जगाने की कोशिश करता है। आखिर हाथी जागा और हाथी के जागते ही तोता बहुत फुर्ति के साथ उड़ कर जा कर पेड़ की डाल पर बैठकर हंसने लगा।
हाथी ने तोते से सवाल किया आखिर क्या बात है मुझे परेशान क्यों कर रहे हो तो तोते ने हंसते हुए कहा कि कुछ नहीं दोस्त बस मजाक कर रहा था। ये सुनकर हाथी दोबारा सो गया।
हांथी को फिर से सोता हुआ देख तोता वापस नीचे उतरा और फिर से हाथी को परेशान करने लगा। ऐसे करते जब तोता ने बार-बार हाथी को परेशान किया तो हाथी वहां से उठकर दूसरे जगह चला गया।
लेकिन ये क्या तोता फिर से हाथी का पीछा किया और उसे फिर से परेशान करना शुरू कर दिया। हाथी ने सोचा कि अब तो कुछ ना कुछ करके इस तोते के बच्चे को सबक सिखाना ही पड़ेगा और ये सोचकर वो एक तालाब में जाकर बैठ गया लेकिन अपने सिर को पानी से ऊपर रखा।
तोता को लगा कि हाथी उससे डर कर पानी में छुपने की कोशिश कर रहा है और फिर तोता ने हाथी के सिर पर बैठकर उसे चोंच मारने लगा।
लेकिन हाथी तोता को सबक सिखाने के लिए पहले से ही अपने सूंढ में पानी भर कर रखा था और उसने तुरंत तोता के ऊपर अपने सूंढ के पानी को उड़ेल दिया।
अब तोता तालाब में बहने लगा और बचाओ बचाओ का आवाज लगाने लगा। हाथी को उसके ऊपर दया आई और हाथी ने तोता को पानी से निकालकर बाहर रखा।
तोता हाथी से माफी मांग रहा था क्योंकि उसे सब बड़ो और छोटों के बीच का अंतर समझ में आ चुका था।
सिख
अगर आप अपना इज्जत और शोहरत पाना चाहते हैं तो सबसे पहले दूसरों का इज्जत करना शुरू करिए फिर लोग अपने आप आप को इज्जत देना शुरू कर देंगे।
5. ईमानदार गधा: Short Stories in Hindi
एक गांव में एक व्यापारी हुआ करता था जिसके पास एक भुरा नाम का गधा था। उस गधे में एक खासियत ये था कि वो इंसानों की तरह बात करता था लेकिन व्यापारी उस भूरा नाम के गधे से बहुत ज्यादा काम करवाता था।
इतना काम करने के बावजूद भी भुरा अपने मालिक से काफी प्यार करता था जबकि उसका मालिक भूरा को खाना भी कम देता था। भूरा के मां-बाप भी उसी व्यापारी के यहां काम करते थे।
उस व्यापारी की एक छोटी सी बेटी थी जिसे भुरा स्कूल छोड़ने के लिए ले जाता था और वापस घर भी लाता था। भुरा व्यापारी के लड़की को एक अच्छा दोस्त मानता था क्योंकि वो उसके साथ में बहुत अच्छी व्यवहार करती थी।
व्यापारी थोड़ा घमंडी टाइप का व्यक्ति था जिस वजह से उस गांव के लोग भी व्यापारी से बातचीत नहीं करते थे। और इस वजह से ही गांव के दूसरे बच्चे व्यापारी के छोटी बेटी गुड़िया के साथ में बातचीत नहीं करते थे।
अब गुड़िया के पास सिर्फ एक ही दोस्त था भुरा वो उसी के साथ स्कूल जाती थी और उसी के साथ खेलती भी थी।
एक दिन की बात है जब भुरा और व्यापारी दोनों एक जंगल से होते हुए घर जा रहे थे और रात का समय हो गया था फिर एक शेर उन दोनों के सामने आकर खड़ा हो गया और पूछने लगा कि बताओ मैं तुम दोनों में से किसे खाऊं।
व्यापारी रो-रोकर बोलने लगा कि मुझे मत खाओ मैं बहुत गरीब हूं तुम इस गधे को खा जाओ क्योंकि इसका कोई नहीं है और ये किसी काम का नहीं है।
शेर ने व्यापारी को जाने के लिए बोला और फिर व्यापारी वहां से भागने लगा इतना में वो शेर एक देवी का रूप ले ली क्योंकि वो शेर नहीं बल्कि एक देवी थी।
और वो भुरा से बोलने लगी कि तुम जिसे अपना मालिक समझते हो जिसका जान बचाने के लिए अपना जान दांव पर लगाए वो तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं सोचता है।
ये देख व्यापारी वापस भूरा के पास आया और माफी मांगने लगा बोला कि मुझे माफ कर दो अब हम तुम्हें कभी तकलीफ नहीं पहुंचाएंगे और अपना घर के सदस्य जैसा मानेंगे।
देवी भी भुरा से बहुत खुश थी उन्होंने भुरा को आशीर्वाद देते हुए चली गई और भुरा एवं व्यापारी भी अपने घर वापस आ गए।
सिख
कभी भी अपने परिवार दोस्त या अन्य लोगों के साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए क्योंकि वापस हमें वही मिलता है जो हम बांटते हैं।
6. शेर और चुहा की कहानी
एक जंगल में एक शेर रहता था और पुरा जंगल पर उसी का राज चलता था। एक दिन की बात है जब शेर खाना खाने के बाद एक पेड़ के नीचे सो गया।
उधर से एक छोटा चूहा निकल रहा था और उसने शेर को सोते हुए देखा और फिर सोचने लगा कि इसके साथ में खेला जाए बहुत मजा आएगा और फिर वो सो रहे शेर के ऊपर चढ गया और कभी सिर पर चढ़ता तो कभी पुंछ से होते हुए नीचे उतर जाता।
अचानक शेर की नींद खुली और वो दहाड़ने लगा ये देख चूहा भागने का कोशिश किया लेकिन शेर ने अपने पंजों से उसे पकड़ लिया और फिर अपना बड़ा सा मुंह खोल कर चूहे को निगलने के लिए आगे बढ़ा।
लेकिन चूहा जोर जोर से रोने लगा और शेर के सामने गिर गिराते हुए बोला हे जंगल के राजा मुझे ना खाओ मेरे से गलती हो गई अब मैं आपको कभी परेशान नहीं करूंगा और समय आने पर आपका मदद भी करुंगा।
शेर को उस चूहे पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया और चूहा शेर को शुक्रिया बोल कर चला गया।
कुछ दिन बिता और एक बार वो शेर कुछ शिकारियों के जाल में धोखे से फस गया। शिकारियों ने शेर को जाल में कस कर उसे चिड़िया घर ले जाने के लिए गाड़ी लेने घर चले गए और शेर दहाड़ता रहा।
शेर की दहाड़ दूर-दूर तक जा रही थी फिर चूहे के कान में उसका दहाड़ गुंजा, चूहा का कान खड़ा हो गया और चूहे को लगने लगा कि शेर मुश्किल में है हमें उसका मदद करना चाहिए।
शेर के आवाज के तरफ चूहा भागता रहा और फिर जाल के पास पहुंच गया और शेर को जाल में फंसा हुआ देख बोलने लगा कि घबराइए नहीं राजा मैं इस जाल को काट कर आप को आजाद करूंगा।
कुछ ही देर में चूहे ने अपने तेज दांत से जाल काट दिया और शेर आजाद हो गया अब शेर को लगने लगा कि चूहा भी बहुत बड़ा काम कर सकता है उसने चूहे को धन्यवाद दिया और फिर दोनों अपने रास्ते पर चल पड़े।
सिख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि किसी को भी कमजोर एवं छोटा नहीं समझना चाहिए क्योंकि वो भविष्य में कभी भी आपके बड़ा काम आ सकता है।
7. गाय और बाघ की Short Stories in Hindi
एक गाय शाम के वक्त चड़ते चड़ते जंगल में पहुंच गई और उसके ऊपर एक बाघ का नजर पड़ा बाघ गाय का पीछा करने लगा और गाय डरकर भागते भागते एक तालाब में जाकर घुस गई और छिपने की कोशिश करने लगी लेकिन बाघ भी उसके पीछे-पीछे तालाब में घुस गया।
लेकिन उस तालाब में पानी कम था और कीचड़ ज्यादा था एवं उस कीचड़ में गाय धंसने लगी बाघ भी गाय के पास पहुंचते-पहुंचते कीचड़ में बुरी तरह से फंस गया अब दोनों ही अपने आप को असहाय महसूस करने लगे क्योंकि हिल नहीं पा रहे थे और दोनों के दोनों कीचड़ के अंदर और धंसते ही जा रहे थे।
गाय ने बहुत ही शांत स्वभाव से बाघ से पूछा कि क्या तुम्हारा कोई मालिक है, बाघ ने गुर्राते हुए बोला मेरा कोई मालिक नहीं है मैं जंगल का राजा हूं और यहां का मालिक मैं ही हूं। गाय बोली लेकिन मेरा मालिक हैं और जब शाम तक मैं घर नहीं जाऊंगी तो वो मुझे ढूंढते हुए जरूर यहां आएंगे और मुझे बचा कर ले जाएंगे लेकिन तुम्हें कौन बचाएगा।
हुआ भी यही जैसे शाम ढला की गाय का मालिक आया और गाय को कीचड़ से निकालकर ले गया लेकिन वो दोनों चाहते हुए भी बाघ को कीचड़ से नहीं निकाले क्योंकि वो जानते थे कि इसे निकालेंगे तो ये हमें खा जाएगा।
सिख
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है एक दूसरे से जुड़े रहना चाहिए किसी पर निर्भर न रहना अच्छी बात है लेकिन बहुत से लोग ये सोचते हैं कि मैं ही सब हूं और मुझे कभी किसी का जरूरत नहीं पड़ेगा लेकिन ये उनका अहंकार होता है। पूरे गांव जिला एवं पूरा देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व को अपना परिवार मानना चाहिए।
8. समय का सही उपयोग Short Stories in Hindi
एक बार की बात है Short Stories के अगले एपिसोड में मुकेश और रिंकू दोनों भाई बहन का एग्जाम आने वाला था रिंकू काफी मेहनती थी जबकि मुकेश लापरवाह था इसी वजह से इनके माता-पिता सोनू को बार-बार समझाया करते थे और ये बताया करते थे कि देखो बेटा रिंकू कितनी मेहनती है तुम भी मेहनत करो नहीं तो फेल हो जाओगे इसलिए समय का सही उपयोग करो और पढ़ाई के समय में पढ़ाई करो।
अब एग्जाम में कुछ ही दिन बच गए थे और मुकेश के टीचर ने भी मुकेश को समझाने की कोशिश किया कि बेटा एग्जाम शुरू होने वाले हैं इसलिए पढ़ाई पर ध्यान दो लेकिन मुकेश ने ये बोलते हुए टाल दिया कि एग्जाम की तैयारी तो मैं झट से कर लूंगा अभी मुझे खेलने दीजिए।
बचा हुआ दिन भी बीत गया और एग्जाम शुरू हो गया लेकिन मुकेश एग्जाम देने जाता और तुरंत ही वापस आ जाता क्योंकि उसने प्रश्नों का उत्तर याद ही नहीं किया था वही रिंकू अपना एग्जाम अच्छी तरह से देकर वापस आती क्योंकि उसने खूब मन लगाकर पढ़ाई की थी और उसे सभी प्रश्नों के उत्तर पता था।
एग्जाम खत्म हुआ और जब एग्जाम का रिजल्ट आया तो मुकेश बहुत उदास दिख रहा था लेकिन रिंकू खुश थी क्योंकि वो अच्छे अंको से पास हो चुकी थी और मुकेश फेल हो चुका था। अब मुकेश के समझ में ये बात आ चुकी थी कि समय का सही उपयोग करना बहुत जरूरी होता है पढ़ाई के टाइम में पढ़ाई करनी चाहिए और खेलने के टाइम में खेलना चाहिए और किसी भी काम को कल पर नहीं छोड़ना चाहिए।
सिख
कभी भी आज का काम कल पर नहीं डालना चाहिए और माता पिता का बात माननी चाहिए और एक बात हमेशा याद रखना चाहिए कि जितना आप मेहनत करेंगे उतना ही अच्छा से अच्छा आपको फल मिलेगा। खेलना भी जरूरी है लेकिन समय का सही उपयोग होना उससे भी ज्यादा जरूरी है।
9. पुरी पढ़ाई
Short Stories के अगला कहानी में दो भाई बहनों की कहानी है, सोनू और पिंकी दोनों जुड़वा भाई बहन थे वैसे तो पढ़ने में दोनों भाई-बहन अच्छे थे लेकिन सोनू का नंबर पिंकी से ज्यादा आया करता था। एक बार की बात है दोनों भाई-बहन पापा से साईकिल मंगाने की जिद करने लगे लेकिन पापा का कहना था कि मेरे पास एक ही साइकिल खरीदने का पैसा है तुम दोनों में से जो सबसे ज्यादा अंक लाएगा उसके लिए साइकिल खरीदी जाएगी वैसे चलाएंगे दोनों।
सोनू ने अपनी समझदारी दिखाते हुए सिर्फ वही पढ़ाई पढी जो पिछले 3 साल के एग्जाम में प्रश्न पूछे गए थे यह सोच कर कि इस बार भी उन्हीं प्रश्नों में से पूछा जा सकता है लेकिन पिंकी पूरी पढ़ाई पढती गइ क्योंकि उसे सिर्फ परीक्षा ही पास करना नहीं था बल्कि पढ़ाई में अव्वल होना था।
जब एग्जाम आया तो सोनू ने सबसे ज्यादा अंक पाकर टॉप किया और रिंकू सेकंड डिवीजन से पास हुई फिर पापा ने सोनू को साइकिल खरीद कर ये बोलते हुए दिया कि तुम दोनों इसे चलाना लेकिन सोनू साइकिल पर अपना अधिकार समझते हुए रिंकू को नहीं देता था।
एक दिन एग्जाम में पास होने की खुशी में सोनू और रिंकू के मम्मी पापा दोनों को लेकर होटल में खाना खाने गए और जब खाना खाकर बाहर निकले तो दो लोग कैमरा एवं साईकिल लेकर उनके पास आए और बोले कि हम लोग जीमन साइकिल का प्रमोशन कर रहे हैं और आपके दोनों बच्चों से कुछ सवाल पूछेंगे जो सबसे ज्यादा सवालों के जवाब सही-सही देगा उसे साइकल गिफ्ट में दिया जाएगा साथ में बैग और बोतल भी दी जाएगी।
एग्जाम हुआ लेकिन इस एग्जाम में स्कूल के एग्जाम की तरह प्रश्न नहीं थे बल्कि किताब से अलग-अलग जगहों से प्रश्न लिए गए थे लेकिन क्योंकि सोनू ने अपने स्कूल के एग्जाम को ध्यान में रखकर ही पढ़ाई की थी और रिंकू ने पूरा बुक पढ़ा था इसलिए वो इस एग्जाम में टॉप हुई और उसे साइकल बैग एवं बोतल इनाम के रूप में मिला। सोनू को समझ में आ गया था कि हमें सिर्फ एग्जाम पास करने के लिए नहीं बल्कि पूरा बुक पढ़ना चाहिए।
सिख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जो भी काम में लगने चाहिए उसे पूरा करना चाहिए आधा अधूरा करके इनाम जीतने की लालसा नहीं रखना चाहिए पूरा पढ़ने वाला बच्चा ही आगे चलकर ऊंचाइयों तक पहुंचता है।
10. बातों की वैल्यू
अब हम short stories For Kids के दसवें कहानी में राम एवं दिव्या दोनों भाई बहन के कहानी जानेंगे। बहुत साल पहले की बात है एक परिवार में 6 साल के राम एवं 8 साल के दिव्या नाम के दो भाई-बहन रहते थे लेकिन दिव्या के बहुत ज्यादा बोलने के वजह से स्कूल में उसे कम अंक मिलते थे जबकि सही उत्तर दिया करती थी लेकिन मास्टर के सवाल पूरा करने के पहले ही वो जवाब देना शुरू कर देती थी इसलिए उसे कम अंक मिलते थे।
एक दिन राम और दिव्या के बुआ जी आई और दोनों के लिए गिफ्ट लाइ, राम ने बहुत शांति से अपना गिफ्ट ले लिया लेकिन अदिति अपने बहुत ज्यादा बोलने की आदत के वजह से बुआ जी से बहुत सारी बातें बोलने लगी और उनके बुआ जी परेशान हो गई। अदिति का कहना ये था कि उसके लिए जो गिफ्ट आया है वैसा गिफ्ट उसके पास पहले से ही है और वो ये चाहती थी कि बुआ जी उसे बाजार लेकर जाएं और दुसरा गिफ्ट दिलवाएं।
जब बुआ जी जाने लगी तो दोनों बच्चों से पूछी की अगली बार मैं आउं तो तुम दोनों के लिए क्या लाऊं, राम ने कहा हमारे लिए आप मिठाई लाना और दिव्या ने बुआ जी का जवाब ना देते हुए बहुत सारे बातें बोलती रही और फिर बुआ जी चली गई लेकिन दूसरी बार आते समय बुआ जी राम के लिए सिर्फ मिठाई लेकर आई और दिव्या के लिए कुछ नहीं क्योंकि जब उन्होंने पूछा था कि तुम्हारे लिए क्या लाए तो वो उस बात का जवाब ना देते हुए और दूसरे दूसरे बात बोलकर बुआ को परेशान की थी।
सीख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलता है कि जितना जरूरत हो उतना ही बोलना चाहिए बहुत ज्यादा बोलने से आपका बात कोई नहीं सुनता है।
11. जादू वाला पर्स
Short stories in Hindi: एक गांव में प्रिया अपने गरीब मां के साथ रहती थी प्रिया की मां इट ढोकर अपना गुजारा करती थी। बारिश होने के वजह से प्रिया की मां 3 दिन से काम पर नहीं जा पाई जिसके वजह से घर का सभी खाना धीरे धीरे करके समाप्त हो गया।
प्रिया को बहुत ज्यादा भूखा देखकर प्रिया के मां ने सोचा कि अब खाना का इंतजाम करना होगा और ये सोचते हुए घर में रखे हुए सोने का हार लेकर प्रिया की मां बाजार में चल पड़ी बेचने के लिए ताकि उसे बेचकर कुछ खाना खरीदा जा सके।
जब प्रिया की मां सुनार के यहां अपना हार बेच कर वापस आ रही थी तभी रास्ते में एक बुजुर्ग औरत मिली जो फटी पुरानी साड़ी पहन रखी थी और प्रिया की मां से वो खाना मांगने लगी, प्रिया के मां बोली कि उसके पास खाना नहीं है ये कुछ पैसे हैं वो रख लो बदले में वो बुजुर्ग औरत ने प्रिया के मां को एक पर्स दी और बोली कि बेटा इसे रखो अब इसका मेरे पास कोई काम नहीं है।
जब प्रिया के मां उस पर्स को लेकर घर आई तो प्रिया बोली की मां आप खाना लेने गई थी ये कैसा पर्स लेकर आ गई और दोनों मां बेटी उदास होकर सो गए। सुबह जब नींद खुला और प्रिया के मां ने उस पर्स को चेक किया तो उसमें बहुत सारा पैसा था दोनों मां बेटी बहुत खुश हुए और वापस बाजार जाकर भरपेट खाना खाया और राशन भी लेकर आए।
जब भी घर का राशन खत्म होता तब प्रिया की मां उस पर्स को चेक करती और उसमें से बहुत सारे पैसे निकलते ऐसे करके अब दोनों मां बेटी बहुत सुखी से रहने लगी और मां को समझ में आ गया कि वो साधारण पर्स नहीं बल्कि कोई जादुई पर्स है और जो औरत मिली थी जिसका उन्होंने मदद किया था वो कोई साधारण महिला नहीं थी।
सिख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जो भी भूखा व्यक्ति मिले उसका पेट अपने से पहले भरना चाहिए क्योंकि आप जो भी पुण्य करते हैं उसका फल हमें भगवान के तरफ से अवश्य मिलता है।
12. दो आलसी की कहानी Dadi Maa Ki Kahaniya
एक बार एक आम के पेड़ के नीचे दो आलसी व्यक्ति आयें और सो गए तभी दोनों के बीच में एक आम गिरा और ये देख पहला व्यक्ति दूसरे से बोला कि दोस्त ये जो आम गिरा है इसे उठाकर मेरे मुंह में डाल दो मुझे इस आम को खाने का मन कर रहा है।
दूसरा व्यक्ति ने बोला कि मुझे तो अपना हाथ हिलाने का मन ही नहीं कर रहा है और ये आम खाने का मन मुझे भी कर रहा है इसलिए तुम इसे उठाकर मेरे मुंह में डाल दो। तभी वहां से एक तीसरा व्यक्ति गुजरा उसे देख पहला आलसी व्यक्ति ने उसको आवाज देकर बुलाया और बोला कि ये आम जरा मेरे मुंह में डाल दो मुझे खाने का मन कर रहा है।
तीसरा व्यक्ति ने कहा कि तुम तो बहुत आलसी हो तुम्हारे पास में आम पड़ा है और उसे उठाकर खा भी नहीं पा रहे हो एक बात हमेशा याद रखना कि आलसी लोगों का मदद भगवान भी नहीं करते हैं फिर मैं कैसे करूं और वो व्यक्ति चला गया।
अब पेड़ के नीचे सो रहे दोनों आलसी लोगों के समझ में आ गया और दोनों एक साथ उठे एवं आम को धोकर आधा-आधा दोनों खाया और क्योंकि आम पेंड़ से टपका था इसलिए बहुत मीठा था। अब दोनों व्यक्ति ये समझ गए थे कि मेहनत का फल मीठा होता है आलस करने से कुछ भी हासिल नहीं होता।
सिख
हम जितना ज्यादा से ज्यादा मेहनत करते हैं उतना ही ज्यादा से ज्यादा हमें मीठा फल मिलता है कभी भी आलस का शिकार नहीं होना चाहिए आलस करने वाला व्यक्ति कभी अपने जिंदगी में आगे नहीं बढ़ सकता।
13. लालच करने का फल बुरा होता है
एक छोटा सा गांव में मोनू और सोनू दो दोस्त रहते थे इन दोनों में मा काफी गरीब था लेकिन ईमानदार था जबकि सोनू अमीर होते हुए भी लालची लड़का था। एक दिन गरीब मोनु अपने मालिक का बकरियां चराते समय सो गया और उसकी दो बकरियां गायब हो गई इसके लिए उसके मालिक ने बहुत डांटा और बोला कि जाओ हमारे दो बकरियों को ढूंढ के लाओ।
मोनू बकरियां के तलाश में बहुत भटकता है लेकिन बकरियां नहीं मिलती है फिर लास्ट में वो एक गुफा के अंदर जाकर सो जाता है और जागने के पश्चात ये बोलता है कि काश मुझे खाना मिल जाता और ये बोलते ही उसके सामने खाना आ जाता है अब मोनू ये समझ चुका है कि वो एक जादुई गुफा है उससे जो मांगेंगे वो मिलेगा।
अगली बार मोनु गुफा से बोलता है कि हे गुफा मेरा दोनों बकरियां मुझे वापस दिला दो और इतना बोलते ही उसके सामने दोनों बकरियां आ जाती है। मोनू सीधा-साधा होता है इसलिए वो गुफा की कहानी सोनू को बता देता है और सोनू क्योंकि लालची लड़का होता है इसलिए वो लालच में आकर गुफा में ढेर सारा सोना मांगने के लिए जाता है।
गुफा के अंदर घुसने के बाद सोनू गुफा से बोलता है कि हे गुफा मुझे ढेर सारा सोने का सिक्का दे दो और इतना बोलते ही सोने का सिक्का बरसने लगता है। लालची सोनु लगातार बोलता जाता है कि और बरसों और बरसों फिर इतना ज्यादा सोने का सिक्का बरसता है कि सोनु सिक्के के अंदर ढक जाता है और उसके साथ ही उसकी लालच की कहानी भी इसी सिक्के के देर में दबकर समाप्त हो जाती है।
सिख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें बहुत ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए जो मेहनत से किया हुआ फल मिलता है वही हमारे काम आता है क्योंकि बहुत ज्यादा लालच करने पर सोनू वाला हाल होता है।
14. खरगोश और कछुए में कंपटीशन
एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे खरगोश कछुए को बार-बार यही कहता था कि तुम मेरे से कभी नहीं जीत पाओगे क्योंकि तुम्हारा चाल बहुत धीमा है और मैं हवा की तरह भागता हूं, इस बात को सुनकर कछुआ हमेशा दुखी रहता था।
फिर एक दिन कछुआ के मन में क्या आया कि उसने खरगोश से कहां के चलो दौड़ लगाते हैं और देखते हैं कि कौन जीतता है इस पर खरगोश ठहाके मार के हंसने लगा और कहा कि तुम भला मेरे से बाजी लगा सकते हो तुम्हारा चाल तो बहुत धीमा है क्यों मेरे साथ दौड़कर अपनी बेइज्जती करवाने पर तुले हो।
इस पर कछुए ने कहा कि कोई बात नहीं चलो आज ट्राई करते हैं और देखते हैं कि कौन जीतता है फिर क्या था खरगोश तुरंत तैयार हो गया और दोनों ने एक जगह तय किया कि वहां से दौड़कर वापस अपने जगह पर आना है और फिर दोनों दौड़ना शुरू कर दिए।
खरगोश कुछ ही देर में तय जगह पर पहुंच गया अब वहां से सिर्फ वापस आना था लेकिन उसने सोचा कि चलो थोड़ा आराम कर लेते हैं कछुए तो बहुत देर बाद यहां पहुंचेगा क्योंकि उसकी चाल बहुत धीमा है ये सोचकर खरगोश आराम करने लगा और फिर उसका आंख लग गई और वो गहरी नींद में सो गया।
जब खरगोश का आंख खुला तो वो तेजी से भागता हुआ उस जगह पर पहुंचा जहां पर पहुंचने की बात हुई थी लेकिन उसने देखा कि कछुआ वहां पहले से ही मौजूद है और वो जीत चुका है, अब खरगोश के समझ में आ गया कि अपने काम को पूरा किये बिना बीच में आराम नहीं करना चाहिए लापरवाही नहीं करनी चाहिए वैसे दोनों ही मुस्कुरा रहे थे।
सिख
इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जिस काम में लगो उसे पूरा करके ही आराम करना चाहिए लापरवाही हमें हरवा सकती है और लापरवाह व्यक्ति कभी भी अपने मंजिल तक नहीं पहुंच सकता है चाहे वो कितना भी तेज हो।
15. मदद
एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में मीना नाम की एक प्यारी लड़की रहती थी। मीना को प्रकृति से बहुत प्यार था, और वह हर दिन जंगल के किनारे घूमने जाती थी। एक दिन जब वह पेड़ों के नीचे चल रही थी, उसने एक घायल चिड़िया को देखा। चिड़िया का एक पंख टूट गया था, और वह उड़ नहीं पा रही थी। मीना को चिड़िया पर बहुत दया आई, इसलिए उसने उसे अपने घर ले जाकर उसकी देखभाल की।
मीना ने प्यार से चिड़िया के पंख पर पट्टी बाँधी और उसे खाना खिलाया। कुछ हफ्तों बाद, चिड़िया का पंख ठीक हो गया, और वह फिर से उड़ने लगी। चिड़िया ने मीना के प्रति आभार जताया, और मीना ने उसे आसमान में उड़ते हुए देखा। मीना ने सीखा कि दया और प्यार से किसी की भी मदद की जा सकती है।
Nice story
aapne ke kaphi acchi kahaniya likha hai pad kr maja aa gaya
Please Motivational stories likhe