रक्षाबंधन के त्यौहार को राखी का त्यौहार भी कहा जाता है, यहाँ पर हम Raksha Bandhan Story In Hindi यानि रक्षा बंधन की कहानी हिंदी में विस्तार से जानेंगे। रक्षाबंधन त्यौहार को सदियों से मनाया जा रहा है और इसका संबंध महाभारत से लेकर कई सारे धर्म ग्रंथों के साथ जुड़ा हुआ है इसलिए इस त्यौहार का स्टोरी हम सभी को जानना चाहिए।
अबकी रक्षाबंधन 2023 में 30 अगस्त दिन बुधवार को मनाया जाएगा। ये त्यौहार श्रावणी उत्सव के नाम से जाना जाता है और हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा के दिन ही इस त्यौहार को मनाया जाता है, एवं इसका जिक्र हमारे धर्म ग्रंथों में भी किया गया है।
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Raksha Bandhan Story In Hindi
रक्षाबंधन के त्यौहार में बहनों के द्वारा भाई के हाथ में राखी बांधने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है, पहले गुरु शिष्य की परंपरा चलती थी और इस परंपरा में शिष्य अपने गुरुओ को रक्षाबंधन या रक्षा सूत्र बांधते थे।
फिर आगे चलकर यही त्यौहार आमजन में मनाया जाने लगा और हर बहने भाइयों को राखी बांधने की परंपरा शुरू की।
रक्षाबंधन के मौके पर ये जरूरी नहीं है कि अपनी सगी बहनें ही आपको राखी बांधे इसमें देश की कोई भी बहने किसी भी भाई को राखी बांध सकती है।
भारत में इस त्यौहार के बारे में आपने देखा होगा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को भी देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आई हुई बहने राखी बांधती हैं।
इस त्यौहार की शुरुआत कहां से हुई राखी बांधने की परंपरा कब शुरू हुआ इसके ऊपर रोचक कथाएं लिखी गई है।
इस पोस्ट में हम Raksha Bandhan Story In Hindi यानी रक्षाबंधन के बारे में वो इतिहास एवं कहानियां जानेंगे जिसके बारे में आदि काल से कथाएं चली आ रही है।
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पति पत्नी की Raksha Bandhan Story
Raksha Bandhan Story में भविष्य पुराण के अनुसार सतयुग में एक असुर हुआ करता था जिसका नाम था वृत्तासुर। इस असुर ने अपने साहस और पराक्रम के द्वारा देवताओं को पराजित कर दिया एवं स्वर्ग पर अपना अधिकार बना लिया।
किसी भी अस्त्र-शस्त्र से पराजित ना होने का वरदान मिला था वृत्तासुर को जिसके वजह से देवराज इंद्र हर बार उससे हार जाया करते थे, उसी समय महर्षि दधीचि अपने शरीर का परित्याग किए ताकि उनके शरीर के हड्डियों से शस्त्र बनाया जा सके वृत्रासुर को मारने के लिए।
फिर इंद्र अपने गुरु बृहस्पति के पास गए और उन्होंने उनसे बताया कि वो वृत्तासुर से युद्ध के लिए जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि अगर युद्ध में उनकी विजय होती है तो ठीक है नहीं तो वीरगति को प्राप्त हो जाएंगे।
ये सारी बातें देवराज इंद्र की पत्नी देवी शती सुन रही थी तो उन्होंने अपने तपोबल के द्वारा एक रक्षा सूत्र बनाया और फिर देवराज इंद्र के कलाई पर बांध दिया, और वो दिन श्रावण का पूर्णिमा था।
देवराज इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए और उन्होंने यह वरदान दिया कि इस दिन जो भी इस रक्षा सूत्र को किसी के कलाई पर बांधेगा वो व्यक्ति जिस भी क्षेत्र में जाएगा वहां पर विजयी होगा।
ये परंपरा आगे बढ़ा एवं देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने भी इसे दोहराया और फिर ये त्यौहार भाई बहन का त्यौहार बन गया।
पुरोहित द्वारा रक्षाबंधन बांधने का परंपरा
यह त्यौहार वैदिक काल से लेकर अभी तक पुरोहितों के द्वारा यजमान को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा चली आ रही है। Raksha Bandhan Story में पहले के समय में पुरोहित राजा को एवं अन्य वरिष्ठ जनों को रक्षा सूत्र बांधा करते थे श्रावण के पूर्णिमा के दिन।
और फिर राजा एवं वरिष्ठ जन धर्म, यज्ञ तथा पूरोहितो की रक्षा का प्रण लेते थे। और इस तरह से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाने लगा।
शुरुआती में पुरोहितों के द्वारा यजमान को रक्षा सूत्र बांधने का परंपरा था लेकिन आगे चलकर आमजन में इस त्यौहार को मनाने की शुरुआत हुई।
और फिर बहने अपने भाई को रक्षाबंधन बांधकर आशीर्वाद प्राप्त करने लगी। इस त्यौहार में सभी बहने अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधते है और भाई अपने बहन को Raksha Bandhan Gift देते हैं एवं उनकी सुरक्षा का कामना करते हैं।
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द्रौपदी एवं श्री कृष्ण का रक्षाबंधन
महाभारत कथा के अनुसार Raksha Bandhan Story में इंद्रप्रस्थ राजसु यज्ञ के दौरान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र चलाया जिसके वजह से श्री कृष्ण के उंगली में थोड़ा खरोच आ गया।
इस दौरान द्रौपदी ये सब देख रही थी उन्होंने श्री कृष्ण के उंगली से निकलता हुआ लहू को देखकर अपने आंचल का एक टुकड़ा फार के श्री कृष्ण के उंगली में बांध दिया।
ये घटना वाला दिन भी श्रावण का पूर्णिमा ही था इसके साथ ही श्री कृष्ण ने द्रौपदी को ये वचन दिया था कि समय आने पर उनके आंचल का टुकड़े का एक-एक धागा का मूल्य चुकाएंगे।
आगे चलकर पांडव और कौरवों के बीच द्वित हुआ जिसमें पांडवों की हार हुई और फिर द्रोपदी का चीर हरण मे श्री कृष्ण ने अपना दिया हुआ वचन को बखूबी निभाया।
ऐसा माना जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का त्यौहार सावन के पूर्णिमा को मनाया जाने लगा और हर बहने अपने भाई के कलाई पर रक्षा सूत्र बांधना शुरू की।
अगर आप इस कहानी को महाभारत में नहीं देखे हैं तो अभी यूट्यूब पर “कृष्ण के द्वारा शिशुपाल वध” इस प्रश्न को सर्च करके वीडियो देख सकते हैं।
इस कहानी में शिशुपाल वध के दौरान सुदर्शन चक्र चलाए जाने से श्री कृष्ण के उंगली से निकलता हुआ लहू को देखकर द्रोपदी ने अपने आंचल के टुकड़े को फाड़ कर बांधी थी।
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और अंत में
कई सारे अलग-अलग कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन के बारे में जो भी इतिहास है उसे हमने इस पोस्ट में बताया।
सभी कथाओं के अनुसार एक ही अर्थ निकलता है कि रक्षा सूत्र बांधने का मतलब भाइयों की लंबी उम्र एवं सदा स्वस्थ रहने की कामना होती है।
तो यहाँ पे हमने जाना Raksha Bandhan Story In Hindi या फिर रक्षा बंधन की कहानी हिंदी में उम्मीद है ये कहानी आपको काफी पसंद आई होगी इस पोस्ट से सम्बंधित आपके पास कोई सवाल या सुझाव है तो निचे कमेंट जरूर करे Happy Rakshabandhan in 2023.