makar sankranti 2023 Kab Hai, सूर्य देव जब मकर राशि में गोचर करते हैं तभी मकर संक्रांति त्यौहार को मनाया जाता है, एवं इसी महीने से नए फल और नई ऋतु का आगमन होता है।
मकर सक्रांति त्यौहार को अलग-अलग राज्यों में अपने अपने रीति रिवाज के अनुसार मनाया जाता है। किसी राज्य में इस त्यौहार में पतंग उड़ाया जाता है तो कहीं पर दही चुरा खाकर इसे मनाया जाता है।
बिहार में मकर सक्रांति के त्यौहार में गंगा स्नान या घर पर ही स्नान करने के बाद दही चुरा तिलवा एवं तिलकुट खाकर मनाया जाता है।
इस पोस्ट में हम जानेंगे कि 2023 मे मकर सक्रांति कब है और अलग-अलग राज्यों में इसे कैसे मनाया जाता है इसके साथ ही इस त्यौहार में पूजा विधि के बारे में भी डिस्कस करेंगे।
makar sankranti 2023 Kab Hai
जैसे ही सूर्य देव मकर राशि में गोचर करना शुरू करते हैं वैसे ही मकर संक्रांति त्यौहार का आगमन हो जाता है, इसी महीने से नए नए फल एवं नए ऋतुओं का आगमन शुरू हो जाता है।
Diwali 2023 के बाद makar sankranti 2023 इस त्यौहार का धार्मिक एवं सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टि से अपना अलग महत्व है।
मान्यता के अनुसार इसी दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव के घर पर जाते हैं। शनि देव को मकर राशि और कुंभ राशि का स्वामी माना गया है, इसीलिए इस दिन को पिता और पुत्र के मिलन का त्यौहार भी कर सकते हैं।
makar sankranti 2023 त्यौहार में अन्य मिठाइयों के साथ तिल और गुड़ से बने लड्डू खाने और बनाने की परंपरा है, तिल और गुड़ के लड्डू सर्दियों के मौसम में स्वास्थ्य के लिए भी अति लाभदायक होता है।
मकर संक्रांति त्योहार में खिचड़ी बनाने खाने और दान करने का भी परंपरा है इस दिन को लोग शाम के समय या कई जगहों पर दोपहर में भी खिचड़ी खाते हैं, और इसी वजह से इस त्यौहार का एक दूसरा नाम खिचड़ी भी है।
अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति
makar sankranti 2023 कब है, कई राज्यों में मकर संक्रांति त्योहार को लोहरी के नाम से भी मनाया जाता है जैसे पंजाब, जम्मू कश्मीर इत्यादि। बिहार एवं उत्तर प्रदेश में इस त्यौहार को खिचड़ी एवं मकर संक्रांति दोनों ही नाम से मनाए जाते हैं, क्योंकि इन राज्यों में शाम के समय खिचड़ी बनाकर खाने एवं दान करने की परंपरा है।
बिहार में मकर संक्रांति या खिचड़ी त्यौहार में सुबह के समय दही चुड़ा, तील एवं गुड़ के लड्डू और शाम के समय खिचड़ी खाने एवं दान करने की पुरानी परंपरा है।
सनी त्रस्त व्यक्तियों को कष्टों से मुक्ति के लिए ठंड के मौसम में पहनने वाले वस्त्र तिल एवं गुड़ के लड्डू एवं खिचड़ी दान करने की परंपरा है। ऐसे व्यक्तियों को ये सभी चीजें दान करने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए गरीब एवं अपाहिज और मजदूर वर्ग के लोगों को गर्म वस्त्र, तिल एवं गुड़ के लड्डू एवं खिचड़ी दान किया जाता है क्योंकि इस तरह के गरीब एवं कमजोर लोग सूर्य देव के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
मकर संक्रांति त्योहार में अपने से बड़ों के पांव छू के आशीर्वाद लेना एवं उन्हें तिल और गुड़ के लड्डू भेंट करने का पुरानी परंपरा है, ऐसा करने से सूर्य देव के आशीर्वाद हमारे ऊपर सदा बनी रहती है।
मकर संक्रांति त्योहार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व माना गया है, अगर आपके घर से गंगा नदी बहुत दूर हैं तो आप सुबह के टाइम नल के ताजा पानी से भी स्नान करके गंगा नहान का फायदा ले सकते हैं, क्योंकि इस त्यौहार में दान करने से जो महत्व मिलता है उतना ही महत्व सुबह ताजा पानी या फिर गंगा स्नान से होता है।
मकर संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय के पहले ही स्नान करना चाहिए इस स्नान से शरीर के साथ ही मन की भी सुनती हो जाती है, अगर इस दिन सूर्योदय के पहले गंगा स्नान करने का मौका मिल जाए तो ऐसा माना गया है कि मनुष्य को देह त्याग करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
makar sankranti 2023 Date
2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 रविवार के दिन पड़ रहा है, एवं शुभ मुहूर्त मकर संक्रांति पुण्य काल सुबह 07:15 am से शाम 05:46 pm तक है।
मकर संक्रांति महा पुण्य काल का समय सुबह 07:15 am से सुबह 09:00 am तक है, अब हम नीचे मकर संक्रांति पूजा विधि के बारे में जानेंगे।
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मकर संक्रांति पूजा विधि
अगर आपके घर के आस-पास गंगा नदी हैं तो इस दिन को सूर्योदय के पहले पवित्र स्नान करें, और अगर आपके आसपास नदी नहीं है तो आप घर में ही पानी में तिल और गंगाजल डालकर सूर्योदय के पहले ही स्नान कर सकते हैं।
स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें, फिर एक तख्त या लकड़ी के चौकी लें और उस पर गंगाजल का छिड़काव करें, फिर उसके ऊपर एक लाल वस्त्र डालें, फिर उस लाल वस्त्र के ऊपर लाल चंदन से अष्टदल कमल बनाएं।
अब उस वक्त या चौकी पर सूर्य देव का तस्वीर रखें, अब एक तांबे का लोटा में जल भरे और उसे भी चौकी पर रखें, अब आप अपने हाथ में अक्षत ले और सूर्य देव का आह्वान करें, इसके साथ ही लाल चंदन से सूर्य देव को टिका करें।
अब कुछ लाल पुष्पों का एक माला बनायें और सूर्य देव को पहनायें और साथ ही लाल पुष्प को सूर्य देव के ऊपर भी चढ़ाएं, अब कुछ नेवैद्ध और लाल फल सूर्य देव के ऊपर चढ़ाए, फिर सूर्य देव को मंत्रों से जाप करें और साथ ही आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ भी करते रहे।
अब सूर्य देव का विधिवत पूजा करें, धूप एवं दीप को अर्पित करें और फिर सूर्य देव की आरती करें, अब आप गुड़ एवं तिल से बनाए हुए लड्डूओ को सूर्य देव का भोग लगाएं, और फिर आपने जो तांबे के लोटे में जल रखा था उसको सूर्य देव के ऊपर अर्पित करें, और फिर आखरी में सूर्य मंत्र का जप करें।
इस प्रकार से मकर संक्रांति की पूजा विधि आपकी पूरी हो जाती है। पूजा करते समय भगवान के प्रति आपके दिल में संपूर्ण श्रद्धा होनी चाहिए तभी पूजा का संपूर्ण फल हमें मिलता है।
और अंत में
तो आज के इस पोस्ट में हमने makar sankranti kab hai date shubh muhurt puja vidhi एवं इस त्यौहार का महत्व, विधि पूर्वक मनाने की विधि जाना।
अगर आपके पास अभी भी इस पोस्ट Makar Sankranti 2023 Kab Hai से संबंधित कोई सवाल रह गया है या आप इस त्यौहार से जुड़ी कोई प्रश्न हम से पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट जरुर करें। मकर संक्रांति की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।