आजकल पूरे देश में Voice Cloning के जरिए एक नए तरह के साइबर क्राइम चल रहा है जिससे बचने का उपाय एवं इससे सावधानी बरतने की टिप्स इस पोस्ट में दी जा रही है इसलिए हम चाहते हैं कि आप इस पोस्ट को पूरे परिवार के साथ पढ़े ताकि इस नए तरह के क्राईम से आप सभी सुरक्षित हो पाए।
आजकल साइबर अपराधी छोटे-छोटे बच्चों के Voice Cloning करके यानी उनके आवाज को नकली आवाज बनाकर उन बच्चों के माता-पिता से लाखों रुपए के ठगी कर ले रहे हैं और सिर्फ जानकारी के अभाव में लोग ठगे जा रहे हैं अगर इस ठगी के बारे में देश के सभी लोगों को पता चल जाए तो फिर कोई भी अपराधी किसी भी बच्चे का नकली आवाज बनाकर उनके माता-पिता या किसी को ठग नहीं पाएंगे।
Voice Cloning ठगी क्या है?
साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मदद से युवाओं एवं बच्चों के आवाज को क्लोन करके उनका नकली आवाज बनाते हैं और फिर उसी आवाज के जरिए उन बच्चों के माता-पिता से ठगी करते हैं इसी को Voice Cloning कहा जाता है।
ये साइबर अपराधी आपके बच्चो के बारे में पता लगा लेते हैं कि वो घर पर नहीं है स्कूल गया है या फिर कहीं और गया है और फिर उसी समय उनका नकली आवाज बनाकर आपके पास फोन करते हैं और बोलते हैं कि आपका बच्चा किसी न किसी बड़ी समस्या में फंसा है उसे छुड़ाने के लिए इतना पैसा आप ट्रांसफर करिए, और फिर उस नकली आवाज को सुना कर माता-पिता को ये कंफर्म कर देते हैं कि वाकई में उनका बच्चा उन्हीं के पास है।
जब इस अपराध से अनजान माता-पिता अपने बच्चों के आवाज सुनते हैं तो वो घबराकर अपने बच्चों को छुड़ाने के लिए उन अपराधियों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं और ऐसे करके Voice Cloning के जरिए पूरे देश भर में ठगी चल रही है।
जांच एजेंसी बनकर लोगों को ठग रहे हैं साइबर अपराधी
कई मामलों में यह साइबर अपराधी अपने आप को जांच एजेंसी बताते हैं जैसे ईडी, सीबीआई, पुलिस, सीआईडी, इनकम टैक्स और कस्टम डिपार्टमेंट के अधिकारी बनकर लोगों को चूना लगा रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार ये पता चला है कि इन साइबर अपराधियों का एक पैटर्न है जो अलग-अलग जांच एजेंसी के नाम से आपके पास फोन करते हैं और आपके बच्चे का आवाज को क्लोन करके उन्हे सुना कर ये बोलते हैं कि ये लड़का किसी गंभीर अपराध में फंसा है और इसे बचाने के लिए आपको तुरंत एक से पांच लाख रुपए ट्रांसफर करना होगा।
जब बच्चे के माता पिता अपने बच्चे के ही जैसा आवाज को सुनते हैं तो उन्हें भी भरोसा हो जाता है कि सामने वाला सही बोल रहा है और फिर वो अपने बच्चे को बचाने के लिए पैसे ट्रांसफर भी कर देते हैं।
जिन लोगों को इस तरह के साइबर अपराध के बारे में पता नहीं है और अगर उनके पास कोई फोन करें और आपके बच्चे के बारे में इतनी सारी जानकारी बतावे और आपके बच्चे का क्लोन किया हुआ आवाज जो की बिल्कुल आपके बच्चे के ही जैसा लगता है वो सुना देवे तो फिर आप भी भ्रम में पड़ जाएंगे और उसके बातों को मानने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
आपके बच्चों की जानकारी साइबर अपराधी कहां से लेते हैं
आपके बच्चे के आवाज के अलावा बाकी जितनी भी जानकारी साइबर अपराधी इकट्ठा करते हैं वो सभी आपके बच्चे के सोशल मीडिया प्रोफाइल से निकालते हैं जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर इत्यादि और इसी जानकारी के जरिए वो आपको लूटते हैं।
उदाहरण के लिए साइबर अपराधी आपके बच्चों को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं और जब वो इसे एक्सेप्ट कर लेते हैं तो फिर वो आपके बच्चे के द्वारा शेयर किया गया सभी फोटो वीडियो ऑडियो की जांच करते हैं और अपने पास सेव कर लेते हैं।
आपका बच्चे का आवाज फेसबुक पर जरूर होता है या तो कोई ऑडियो होता है या फिर वीडियो होता है और उसी आवाज को निकाल कर ये अपराधी उसे क्लोन करके टेक्स्ट टू स्पीच के जरिए दूसरा आवाज तैयार करते हैं और फिर उस आवाज को आपको फोन कॉल्स पर सुना कर आपके साथ ठगी करते हैं।
सिर्फ तीन सेकंड्स के ऑडियो से नकली आवाज बनता है
किसी के भी आवाज को क्लोन करके नकली आवाज बनाने के लिए उस व्यक्ति का सिर्फ तीन सेकंड का ऑडियो साइबर अपराधियों के पास होना चाहिए और इतना सा ऑडियो तो उनको फेसबुक ट्विटर या इंस्टाग्राम के जरिए मिल ही जाता है और फिर उसी के जरिए वो नकली आवाज तैयार करते हैं।
एक साइबर सिक्योरिटी कंपनी के इस तरह के अपराधों पर अध्ययन में पता चला है कि आपके बच्चे के आवाज को नकली आवाज बनाने के लिए सिर्फ उसका 3 सेकंड का वीडियो चाहिए होता है फिर वो उस छोटे से वीडियो के जरिए आपके बच्चे का नकली आवाज बना लेते हैं।
फिर वो आपके बच्चे से जो भी बुलवाना चाहते हैं उसे पहले कागज पर लिखते हैं और फिर टेक्स्ट टू स्पीच के जरिए उसका ऑडियो बनाते हैं और फिर आपके बच्चे का 3 सेकंड के वीडियो में जो आवाज होता है उसके साथ मिला देते हैं ये सब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के जरिए होता है।
बचाव का क्या है उपाय?
Voice Cloning ठगी से बचने का पांच ऐसे उपाय हैं जिसको अपना के आप इस तरह के अपराधियों के अपराध से बच सकते हैं और अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकते हैं।
1. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम इत्यादि पर किसी भी अनजान व्यक्ति के आए हुए फ्रेंड रिक्वेस्ट को ऐसे ही एक्सेप्ट ना करें पहले उसकी जांच पड़ताल करें।
2. अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर सुरक्षा सेटिंग्स में जाएं और सेटिंग को ऐसे सेट करें कि जो आपके फ्रेंड्स नहीं है वो आपके प्रोफाइल की जानकारी ना देख पाए।
3. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने और अपना परिवार से जुड़ी जानकारी कम से कम डालें और अगर डालें भी तो उसे प्राइवेट करके रखें।
4. आपके पास कहीं से भी कॉल आता है और सामने वाला बोलता है कि हम जांच एजेंसी पुलिस या किसी और संस्था से बोल रहे हैं तो आप उस पर विश्वास करने से पहले नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके कंफर्म कर लें।
5. आजकल ज्यादातर साइबर अपराधी अपने कॉलर आईडी में जांच एजेंसियों के नाम लिख देते हैं जैसे ईडी, सीबीआई इत्यादि और उससे किसी के पास फोन करते हैं और सामने वाला व्यक्ति जब आ रहे फोन के कॉलर आईडी में जांच एजेंसीयों के नाम देखता है तो वो उसके ऊपर विश्वास कर लेता है लेकिन ये झूठ भी हो सकता है इसलिए आप सीधे-सीधे विश्वास ना करें।
आजकल कई सारे ऐसे एप्स हैं जिसके जरिए कोई भी अपने नंबर के कॉलर आईडी को एडिट करके उसमें कुछ भी लिख सकता है इसलिए कॉलर आईडी देखकर आ रहे कॉल को जांच एजेंसीयों का कॉल ना समझे पहले उसकी जांच कर लें।
6. आप अपने कहीं घूमने जाने या किसी भी गतिविधि को तुरंत सोशल प्रोफाइल पर शेयर ना करें एक-दो दिन बाद करें ताकि अपराधियों को आपके गतिविधि को ट्रैक करने का मौका ना मिले।
ये भी पढ़ें
Aawaj Badalne Wala Apps किसी भी आवाज को दूसरे आवाज में बदले
VPN क्या होता है ये कैसे काम करता है
रामदेव जी के व्हाट्सएप ग्रुप या चैनल से कैसे जुड़े
फेसबुक से संपर्क कैसे करें